जिले से बाहर कई संस्थाएं हैं जो इस कार्य में जुटी हैं मगर वे भी अपनी सहूलियत के आधार पर ही यह सेवा दे पाती हैं। गत दिनों हनुमानगढ़ में ऐसा मामला सामने आया जिसमें नेत्रदान की इच्छुक वृद्धा की इच्छा पूरी नहीं हो सकी। परिजनों ने प्रयास किए जो नियम-कायदों के चलते और व्यवस्था के अभाव में फलीभूत नहीं हो सके। सुई में धागा डालने में सक्षम थी वृद्ध महिला चक 22 एनडीआर के जगदीश कुमार ने बताया कि उनकी माता आंखें दान करना चाहती थी। उनकी दोनों आंखें ऐसी थी कि वे सुई में धागा पीरो सकती थी। आखिरी समय पर उनकी इच्छानुसार नेत्रदान के लिए जिला चिकित्सालय टाउन व मेडिकल कॉलेज जंक्शन तथा निजी चिकित्सकों से संपर्क किया। वहां इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। 24 किलोमीटर दूर जाकर नहीं स्वीकार करते नेत्रदान फिर किसी के कहने पर श्रीगंगानगर की दो-तीन संस्थाओं व मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया। जवाब मिला कि 24 किलोमीटर से ज्यादा दूर हम नेत्रदान स्वीकार करने नहीं जा सकते। टीम का सारा खर्च भी वहन करने को तैयार थे, फिर भी निराशा ही हाथ लगी। अंतत: बिना नेत्रदान ही माता का अंतिम संस्कार करवाना पड़ा। सरकार कराए व्यवस्था ‘नेत्रदान महादान’ केवल नारा ही साबित हो रहा है। अफसोसजनक है कि जिले में इच्छुक लोगों के नेत्रदान कराने की कोई सरकारी या निजी संस्थाओं में कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार जिले में नेत्रदान की समुचित व्यवस्था करवाए। -एडवोकेट शंकर सोनी, संयोजक नागरिक सुरक्षा मंच। अभी नहीं कोई व्यवस्था जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में नेत्रदान करवाने को लेकर अभी व्यवस्था नहीं है। इस संबंध में मुख्यालय को रिपोर्ट भेजकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया हुआ है। -डॉ. कीर्ति शेखावत, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, हनुमानगढ़। यह भी पढ़ें राजस्थान के इन इलाकों में अभी नहीं पहुंचा मानसून, IMD ने किया अलर्ट, 26 से 29 जून के बीच इन जिलों में मूसलाधार बारिश का अनुमान
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Hanumangarh: वृद्ध महिला की अंतिम इच्छा नहीं हुई पूरी, करना चाहती थी नेत्रदान, सरकारी व्यवस्था के चलते निराशा लगी हाथ | last wish of old woman not fulfilled due to fail government system she want to donate her eyes

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