खानापूर्ति कर भूलेहरिके हैड वक्र्स की क्षमता बढ़ाने को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने साढ़े तीन वर्ष पूर्व पंजाब के सीएम से मिलकर हरिके हैड वक्र्स की क्षमता बढ़ाने को लेकर विकल्प तैयार करने का निर्णय लिया था। इसके बाद पंजाब सरकार ने इस पर मॉडल स्टडी करवाकर इसकी रिपोर्ट के अनुसार हैड वक्र्स से पानी की क्षमता बढ़ाने की बात कही थी। पंजाब व राजस्थान की संयुक्त टीम ने रिपोर्ट जारी कर हरिके हैड वक्र्स के सभी गेट खोलकर 18500 क्यूसेक पानी चलाने को लेकर हरी झंडी दे दी है। लेकिन अब पंजाब क्षेत्र में इंदिरगांधी फीडर (राजस्थान कैनाल) की लाइनिंग जगह-जगह से टूटने की वजह से नहरी महकमे के अफसर तय डिजाइन के अनुसार इसमें पानी चलाने में असमर्थता जता रहे हैं। अब राजस्थान, पंजाब व केंद्र की सरकारें मिलकर इंदिरागांधी फीडर की रीलाइनिंग करवाने को लेकर गंभीर होंगे तभी तय डिजाइन के अनुसार इस नहर में पानी चलाना संभव हो सकेगा। पंजाब ने जमाया हकसूत्रों के अनुसार हरिके हैड से तय डिजाइन के अनुसार पानी प्रवाहित करने को लेकर मॉडल स्टडी संबंधी रिपोर्ट जारी कर दी गई है। इसमें हैड के सभी गेट खोलकर 18500 क्यूसेक पानी चलाने पर सहमति बनी है। मगर पंजाब में इंदिरागांधी फीडर की लाइनिंग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। जब तक पंजाब भाग में फीडर की स्थिति सही नहीं होगी तब तक हरिके हैड के सभी गेट खोलकर तय डिजाइन के अनुसार पानी चलाने का लाभ राजस्थान को नहीं मिल सकेगा। इसके लिए राजस्थान सरकार ने पंजाब सरकार को फीडर की लाइनिंग करवाने का सुझाव दिया है। बताया जा रहा है कि नहर निर्माण का कार्य जब शुरू किया गया था, उस समय राजस्थान का जितना शेयर बनता था, उतना पानी लेने में राजस्थान का नहरी तंत्र सक्षम नहीं था। इसलिए कुछ पानी कुछ समय के लिए पंजाब को दे दिया गया था। बाद में पंजाब ने इस पानी पर अपना हक ही जमा लिया। इस बीच राजस्थान के किसानों को अपने हिस्से का पूरा पानी भी नहीं मिल पाया। जबकि राजस्थान में अब नहरी तंत्र का काफी विस्तार हो गया है। राजस्थान क्षेत्र में इंदिरगांधी नहर की रीलाइनिंग का कार्य भी काफी हद तक पूर्ण हो गया है। इस स्थिति में अब पंजाब क्षेत्र में नहर की जर्जर स्थिति को सुधारने की जरूरत है। …….फैक्ट फाइल….-पंजाब, हरियाणा व राजस्थान से निकलने वाले इंदिरागांधी नहर की कुल लंबाई 649 किमी है। इसमें सबसे ज्यादा क्षेत्रफल राजस्थान में 445 किमी है।-इस नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, चूरू व नागौर सहित प्रदेश के 13 जिलों की प्यास बुझ रही है।-1958 में इंदिरागांधी फीडर का निर्माण शुरू हुआ था।-11 अक्टूबर 1963 में राजस्थान में पहली बार इंदिरागांधी नहर की नौरंगदेसर वितरिका में पानी प्रवाहित किया गया था।-नहरी क्षेत्रों से राजस्थान में 6000-7000 करोड़ का उत्पादन हो रहा है।-राजस्थान भाग में इंदिरागांधी नहर में रीलाइनिंग कार्य करीब-करीब पूर्ण हो गया है, अब पंजाब भाग में इंदिरागांधी फीडर की रीलाइनिंग का काम हो जाए तो इस नहर की मियाद करीब 80 वर्ष बढ़ जाएगी। देरी नहीं करे सरकारकिसान नेता ओम जांगू के अनुसार हरिके हैड वक्र्स से राजस्थान क्षेत्र में आज तक इंदिरागांधी नहर के तय डिजाइन के अनुसार पानी नहीं चल पाया है। यह काफी चिंताजनक स्थिति है। इस पर सरकारों को विचार करने की जरूरत है। राजस्थान क्षेत्र की नहरें पक्की हो गई है। लेकिन पंजाब क्षेत्र की नहरें जर्जर हो गई है। राजस्थान सरकार ने इंदिरागांधी नहर पंजाब भाग में रीलाइनिंग कार्य के लिए डीपीआर बनाने को लेकर पहल की है। इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगाना चाहिए। केंद्र व राज्य के बीच आपसी समन्वय से बजट स्वीकृत करके इस पर काम शुरू करना चाहिए। ताकि नहर में तय क्षमता के अनुसार पानी चल सके। बांधों में पानी की आवक लगातार कम हो रही है। नदियां किन कारणों से रास्ता बदल रही हैं। इन पर शोध होने चाहिए। ताकि बांधों में आवक बढ़ सके।
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विडम्बना: एशिया की सबसे लंबी नहर में 60 बरसों में नहीं चला पूरा पानी | city news

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