बच्चों की किताब बिगाड़ रही बापू का हिसाब-किताब

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अभिभावक संघ की मांग अभिभावक संघ, हनुमानगढ़ के ज्ञापन के अनुसार जिले के कई निजी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की पुस्तकों की खरीद को लेकर कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न विद्यालय प्रशासन पुस्तकों की बिक्री विद्यालय में ही कर रहे हैं। इससे अभिभावकों के समक्ष पुस्तक खरीद के विकल्प सीमित हो जाते हैं जो असुविधा के कारण बन रहे हैं और यह प्रक्रिया बिलकुल पारदर्शी भी प्रतीत नहीं होती है। अत: विद्यालयों में पुस्तकों की बिक्री पर रोक लगाई जाए। अंग्रेजी माध्यम की कक्षाओं के लिए आवश्यक पुस्तक सूची सार्वजनिक कर सभी पुस्तक विक्रेताओं के यहां उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। इससे अभिभावक अपनी सुविधा के अनुसार मोल भाव कर किसी भी विक्रेता से पुस्तकें खरीद सकेंगे। इस व्यवस्था ना केवल प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी बल्कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के चलते पुस्तकें भी उचित मूल्य पर भी उपलब्ध हो सकेंगी। हालांकि ज्ञापन में किसी स्कूल विशेष का जिक्र नहीं किया गया है। कमोबेश हर जगह जानकारों की माने तो पाठ्य सामग्री में कमीशन का खेल सीबीएसई व राजस्थान शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त स्कूलों में कहीं कम तो कहीं ज्यादा चलता है। फर्क सिर्फ इतना है कि राजस्थान शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त स्कूलों में सीबीएसई से जुड़े स्कूलों की तुलना में जेब कम ढीली होती है। कारण यह कि राजस्थान शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त स्कूलों में पूरे प्रदेश में समान पाठ्यक्रम है। राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की किताबें स्कूलों में चलती हैं। इसलिए यह पुस्तकें प्रत्येक स्टेशनरी की दुकान पर आसानी से मुहैया हो जाती हैं। लेकिन सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूलों में ऐसा नहीं हो रहा है। नहीं एकरूपता, अतिरिक्त पुस्तकें एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल से प्रकाशित किताबें हिन्दी के साथ अंग्रेजी में भी उपलब्ध हैं। फिर भी कई स्कूल अलग दिखने तथा अंग्रेजी माध्यम की आड़ लेकर पाठ्यक्रम से इतर अतिरिक्त पुस्तकें भी लगा देते हैं जो निजी प्रकाशन की बहुत महंगी होती हैं। सीबीएसई से सम्बद्ध कई स्कूलों की स्थिति यह है कि उनका पाठ्यक्रम ही एक-दूसरे से नहीं मिलता है। हर स्कूल पाठ्यक्रम में कई ऐसी किताबें लगाते हैं जो जिले या शहर में एक-दो दुकानों पर ही मिल पाती हैं। ऐसे में दुकानदार भी मनमर्जी से दाम वसूलते हैं। कमीशन के चक्कर में पुस्तकें भी बहुत जल्दी बदल दी जाती हैं। नियम तो है मगर आरटीआई जागृति मंच के अध्यक्ष प्रवीण मेहन बताते हैं कि सीबीएसई हर बार पाठ्यक्रम को लेकर गाइडलाइन जारी करती है। इसमें स्पष्ट निर्देश होता है कि मिडिल स्तर के स्कूल एनसीईआरटी की ओर से तय पुस्तकें ही स्कूलों में लगाए। इस व्यवस्था की सख्ती से पालना कराने के लिए सीबीएसई सभी स्कूलों को पाठ्यपुस्तकों के नाम वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देता है। इसके बावजूद गलियां निकाल ली जाती हैं। यही स्थिति राजस्थान बोर्ड के स्कूलों में देखने को मिल जाती है। कमेटी या विभाग से करे शिकायत पुस्तकों की सूची वेबसाइट पर अपलोड करने व सूचनापट्ट पर चस्पा करना आवश्यक है। अभिभावक अपनी शिकायत स्कूल स्तरीय कमेटी को भी दे सकते हैं या फिर डीईओ प्रारंभिक या माध्यमिक को शिकायत दी जा सकती है। लिखित में शिकायत मिलने पर जांच कर संबंधित विद्यालय के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। – पन्नालाल कड़ेगा, सीडीईओ हनुमानगढ़।

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