राजस्थान के अजमेर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दो सगे भाइयों ने करोड़पति बनने का सपना दिखाकर 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों से करीब 50 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों में एक आरोपी सरकारी स्कूल में शिक्षक है और दूसरा पुलिस कांस्टेबल, जो इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड माना जा रहा है।
पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई कर आरोपी सरकारी शिक्षक कुलदीप मीणा (34) को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसका भाई और मुख्य साजिशकर्ता पुलिस कांस्टेबल पवन मीणा अब भी फरार है। कुलदीप को पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि वह लगातार हुलिया और ठिकाना बदलकर बचता रहा। उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था।
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क्लॉक टॉवर थाना प्रभारी वीरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर कुलदीप को गिरफ्तार किया गया। उसके बैंक खाते से करीब 18 लाख रुपये की राशि भी बरामद की गई है। उसे कोर्ट में पेश कर पांच दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है ताकि पूरे नेटवर्क की तह तक पहुंचा जा सके।
पुलिसकर्मियों को चौगुना मुनाफा देने का लालच
इस हाई-प्रोफाइल ठगी का पर्दाफाश तब हुआ जब मदनगंज-किशनगढ़ में तैनात कांस्टेबल दीपक वैष्णव ने क्लॉक टॉवर थाने में मामला दर्ज करवाया। शिकायत में उसने बताया कि उसका बैचमेट पवन मीणा अक्सर थानों में आकर ‘बड़े प्रोजेक्ट्स में निवेश’ और ‘चौगुनी कमाई’ का झांसा दिया करता था। पवन और उसके भाई कुलदीप ने मिलकर एक फर्जी इन्वेस्टमेंट कंपनी बनाई, जिसके तहत उन्होंने दावा किया कि निवेशकों का पैसा नेशनल हाईवे जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा। इस भरोसे के जाल में आकर कई पुलिसकर्मियों ने अपनी मेहनत की कमाई इस स्कीम में लगा दी।
वर्दी और नेटवर्क का इस्तेमाल कर रची ठगी की बड़ी साजिश
एसपी वंदिता राणा ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि शिकायत मिलते ही कांस्टेबल पवन मीणा को 25 दिन पहले ही निलंबित कर दिया गया। दोनों भाइयों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। फिलहाल पुलिस फरार चल रहे पवन की तलाश में जुटी है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह ठगी योजनाबद्ध तरीके से की गई थी। पवन मीणा ने न सिर्फ अपनी वर्दी और पद का दुरुपयोग किया, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर अपने नेटवर्क के जरिए आसानी से अन्य पुलिसकर्मियों को भरोसे में लिया और बड़ी राशि हड़प ली।
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इस घटना ने पुलिस विभाग के आंतरिक तंत्र और भरोसे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस अब बाकी निवेशकों की सूची तैयार कर रही है ताकि इस घोटाले की वास्तविक रकम और पीड़ितों की संख्या का सटीक अनुमान लगाया जा सके। पुलिस यह भी पता लगाने में जुटी है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल था।