पूर्व केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री और उदयपुर की गौरवशाली बेटी डॉ. गिरिजा व्यास का शुक्रवार को वैदिक रीति-रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दैत्य मगरी स्थित आवास से उनकी अंतिम यात्रा सायं 4:15 बजे रवाना हुई और अशोकनगर मोक्षधाम में आर्य समाज की विधियों के अनुसार सम्मानपूर्वक विदाई दी गई।
जीवन भर नारी सशक्तिकरण की पक्षधर रहीं डॉ. व्यास की अंतिम यात्रा भी उनके विचारों की ही प्रतिनिधि बनी। आर्य समाज की वैदिक परंपराओं के अनुसार हुए अंतिम संस्कार में महिला पुरोहित सरला गुप्ता ने मंत्रोच्चार किया और अंतिम क्रियाएं संपन्न कराईं। पार्थिव देह को उनके भतीजे ने मुखाग्नि दी।
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‘गिरिजा व्यास अमर रहें’ से गूंजा शहर
अंतिम यात्रा के दौरान पूरे मार्ग पर हजारों लोग भावभीनी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। ‘गिरिजा व्यास अमर रहें’, ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, गिरिजा जी का नाम रहेगा’, और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारों से वातावरण गुंजायमान रहा। जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई और नागरिकों ने सड़क किनारे खड़े होकर अंतिम दर्शन किए।
डॉ. व्यास की अंतिम यात्रा में न सिर्फ उदयपुर बल्कि दिल्ली, जयपुर और देशभर से गणमान्यजन पहुंचे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, सांसद मन्नालाल रावत, विधायक ताराचंद जैन, फूलसिंह मीणा, पूर्व विधायक त्रिलोक पूर्बिया, भाजपा नेता गजपाल सिंह राठौड़ और पारस सिंघवी सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस दौरान अशोक गहलोत ने पार्थिव देह को कंधा दिया और उन्हें ‘सिद्धांतों पर टिके राजनीतिक जीवन की मिसाल’ बताया। गोविंद सिंह डोटासरा ने उन्हें ‘कांग्रेस विचारधारा की सशक्त वाहक’ कहा।
राजीव गांधी के कहने पर चुनी थी राजनीति की राह
डॉ. गिरिजा व्यास मूलतः शिक्षाविद थीं, लेकिन राजीव गांधी के आग्रह पर उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वे विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष जैसे पदों पर रहीं और हर भूमिका में प्रभावशाली कार्य किया।
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नारी शक्ति के नेतृत्व में नारी शक्ति को अंतिम विदाई
अंतिम संस्कार की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि सरला गुप्ता ने महिला पुरोहित के रूप में मंत्रोच्चार किया, जो कि सामाजिक संदेश देता है कि अब अंतिम संस्कार जैसी पारंपरिक विधियों में भी नारी सहभागिता को स्थान मिल रहा है। यह डॉ. व्यास के जीवन के विचारों के अनुरूप ही था। डॉ. व्यास की विदाई में न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा और अन्य संगठनों के नेताओं की भागीदारी ने स्पष्ट कर दिया कि वे दलों से ऊपर उठकर सभी की प्रिय रहीं। उनकी सादगी, सेवाभाव और सशक्त विचारधारा ने उन्हें विशेष पहचान दी, जो आने वाले वर्षों तक याद की जाएगी।