Rajasthan: जयपुर में इस साल होगी अच्छी बारिश, ज्योतिषाचार्यों इंद्र ध्वज से वायु परीक्षण में मिले प्रमाण

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खगोल विज्ञान के लिहाज़ से बेहद अहम माने जाने वाले जयपुर के जंतर मंतर स्थित सम्राट यंत्र पर 252 वर्षों से चली आ रही वायु परीक्षण की परंपरा में इस बार देशभर में अच्छी वर्षा के संकेत मिले हैं। वहीं जयपुर के 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भी अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की गई है। परीक्षण के बाद ज्योतिषाचार्यों और धर्माचार्यों ने कहा कि भरपूर बारिश होने से यह वर्ष कृषि और पर्यावरण के लिहाज से बेहतर रहेगा। प्रदेश में हरियाली बढ़ेगी और फसलों की पैदावार में भी इजाफा होगा।

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जयपुर रियासत की स्थापना के समय से ही जंतर मंतर पर यह वायु परीक्षण हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की गुरु पूर्णिमा पर वर्षा के संकेत पढ़ने के लिए किया जाता है। आचार्य शिवदत्त शास्त्री ने बताया कि इस बार जंतर मंतर पर गुरुवार को सूर्यास्त के बाद शाम 7 बजकर 19 मिनट पर वायु परीक्षण किया गया। परीक्षण से पहले इंद्र ध्वज का पूजन कर उसे सम्राट यंत्र के शीर्ष पर करीब 90 फीट की ऊंचाई पर स्थापित किया गया। इसके बाद हवा के प्रवाह की दिशा और गति का अवलोकन किया गया।

परीक्षण करने वाले पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि सूर्यास्त के समय 7:19 मिनट पर इंद्र ध्वज को हवा में रखकर वायु प्रवाह की दिशा देखी गई। यह प्रक्रिया शाम 7:18 से 7:20 बजे तक चली। इस दौरान हवा की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर थी, जिसे वर्षा काल के लिए शुभ माना जाता है। खास बात यह रही कि परीक्षण के समय बारिश भी हो रही थी, जो अत्यंत शुभ संकेत माना जाता है।

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विनोद शास्त्री ने बताया कि अलग-अलग पूर्णिमाओं पर तिथियों और नक्षत्रों के योग का भी विश्लेषण किया जाता है। इससे सालभर के मौसम, फसल, कीट-पतंगों के प्रकोप और प्राकृतिक आपदाओं जैसी संभावनाओं का आकलन किया जाता है। इस बार के परीक्षण और ग्रह-नक्षत्रों के योग के आधार पर संकेत मिल रहे हैं कि जयपुर समेत राजस्थान और देशभर में अच्छी वर्षा होगी। इससे प्रदेश में हरियाली और कृषि उत्पादन में वृद्धि के आसार हैं।

उन्होंने बताया कि यह परंपरा करीब 252 वर्षों से चली आ रही है। इसके माध्यम से मानसून और वर्षा का अनुमान लगाया जाता रहा है। सम्राट यंत्र की स्थापना जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी। ऐसा ही यंत्र दिल्ली, वाराणसी, उज्जैन और मथुरा में भी स्थापित किया गया था। हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर सूर्यास्त के समय विशेष प्रकार की वायु चलती है, जिससे वर्षा के संकेतों का अनुमान लगाया जाता है।

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