सिरोही जिले के आबूरोड क्षेत्र अंतर्गत सांतपुर ग्राम पंचायत में गौचर भूमि और राजस्व नाला क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए अवैध मिट्टी खनन के मामले ने तूल पकड़ लिया है। शुक्रवार को ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने तहसीलदार मादाराम मीणा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए इस गंभीर प्रकरण की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच करवाने की मांग की है। साथ ही दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई की मांग भी की गई है।
चार महीने से चल रहा अवैध खनन, प्रशासन मौन
ज्ञापन में जनप्रतिनिधियों ने बताया कि खसरा संख्या 323 और 154, जो कि गौचर भूमि और पुरातत्व महत्व की चंद्रावती नगरी से जुड़ी भूमि है, वहां बीते चार महीनों से अवैध रूप से जेसीबी और पोकलेन मशीनों से मिट्टी का बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है। इतना ही नहीं, राजस्व नाला क्षेत्र को भी नहीं बख्शा गया और वहां से भी मिट्टी निकालकर व्यावसायिक उपयोग में लाया गया है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस को कई बार इसकी जानकारी दी गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल चुप्पी और अनदेखी ही देखने को मिली।
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जिम्मेदार अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि खननकर्ताओं और जिम्मेदार अधिकारियों की आपसी मिलीभगत के कारण यह अवैध गतिविधि इतने लंबे समय तक बेरोकटोक चलती रही। प्रशासनिक उदासीनता ने खननकर्ताओं के हौसले बुलंद कर दिए और वे सार्वजनिक उपयोग की भूमि का दोहन करते रहे। यह केवल भूमि का अतिक्रमण नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के पर्यावरण और संसाधनों से खिलवाड़ है।
कार्रवाई न होने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी
ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि अगर आगामी पंद्रह दिनों में इस मामले में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। जनप्रतिनिधियों ने साफ कहा कि अब चुप बैठने का समय नहीं है और जनता की आवाज को अनसुना करने का अंजाम प्रशासन को भुगतना पड़ेगा।
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ज्ञापन देने वालों में सांतपुर ग्राम पंचायत के वार्ड मेंबर यायहाखान, प्रताप कुमावत, परवीनबानू पठान, नितेश बारोट, विशाल समंशा, यासीफ पठान, राहुल बारोट, सलमान पठान, निकेतन बारोट और गौरव परिहार शामिल रहे। सभी ने एकजुट होकर यह स्पष्ट संदेश दिया कि जनता की भूमि की रक्षा के लिए अब निर्णायक संघर्ष होगा।