राजस्थान के कोटा जिले के रानपुर थाना क्षेत्र में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब बाल अधिकारिता विभाग और चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने एक नाबालिग बालिका का बाल विवाह रुकवाया। यह कार्रवाई उस समय की गई जब शादी की रस्में जैसे हल्दी-मेहंदी आदि चल रही थीं। नाबालिग को मौके से सुरक्षित निकालकर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया और उसे बालिका गृह में अस्थायी आश्रय दिलाया गया।
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20 अप्रैल को होने थे फेरे, गुरुवार को हुई थी लग्न
जानकारी के अनुसार, नाबालिग बालिका की उम्र महज 15 वर्ष है और उसका विवाह 20 अप्रैल को तय किया गया था। शादी के कार्यक्रमों की शुरुआत गुरुवार को लग्न के साथ हो चुकी थी। मकान छोटा होने की वजह से विवाह की तमाम रस्में लड़की के चाचा के घर पर आयोजित की जा रही थीं। परिजनों ने भी इस बात की पुष्टि की कि बारात बारां जिले से आने वाली थी।
सूचना मिलते ही सक्रिय हुई प्रशासनिक टीम
कोटा जिले के बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामराज मीणा ने बताया कि रानपुर थाना इलाके में नाबालिग के विवाह की सूचना मिलते ही कार्रवाई के आदेश दिए गए। इसके बाद चाइल्ड हेल्पलाइन के कोऑर्डिनेटर नरेश मीणा, काउंसलर महिमा पांचाल, वॉलंटियर सौरभ मेहरा और सृष्टि सेवा समिति के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र सिंह ने स्थानीय पुलिस के साथ मौके पर पहुंचकर छानबीन शुरू की।
शादी की तैयारियों के बीच पहुंची टीम
जब टीम लड़की के घर पहुंची, तो वहां विवाह की रस्में जोरों पर थीं। नाबालिग के हाथों में मेहंदी और हल्दी लगी हुई थी। टीम को देखते ही घर में अफरा-तफरी मच गई। जांच के दौरान जब लड़की के जन्म से जुड़े दस्तावेज देखे गए तो उसकी उम्र 15 वर्ष निकली, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह एक बाल विवाह है।
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परिजनों को किया पाबंद, बालिका को दिलाया आश्रय
टीम ने मौके पर ही परिजनों को सख्त चेतावनी दी और बाल विवाह न करने को लेकर पाबंद किया। इसके साथ ही बालिका को बाल कल्याण समिति की सदस्य हरप्रीत कौर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति के निर्देश पर नाबालिग को बालिका गृह में अस्थायी रूप से आश्रय दिया गया है, जहां वह अब सुरक्षित है।