बाजार में काजू बादाम से भी महंगी बिकने वाली सांगरी की आवक में तेजी आने लगी है। राजस्थान में कल्पवृक्ष के नाम से चर्चित खेजड़ी पर पांच से दस किलो तक सांगरी उतरने लगी है। इससे लोगों को रोजगार मिलने लगा है। बाजार में सूखी सांगरी काजू-बादाम से भी मंहगी बिक रही है। बाजार में काजू-बादाम के भाव करीब 800-1000 रुपए प्रति किलो है। वहीं सूखी सांगरी 1000 से 1200 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही है। क्या है जीआई टैग भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग किसी उत्पाद को दिया जाने वाला वह प्रमाणन है, जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान से उत्पन्न होता है और उसमें उस स्थान के निहित गुण, प्रतिष्ठा या विशेषताएं होती हैं। यह टैग पारंपरिक उत्पादों की पहचान की रक्षा करने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि केवल निर्दिष्ट क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले उत्पादों को ही नाम का उपयोग करने की अनुमति है। सरल शब्दों में कहें, तो जीआई टैग इसकी गारंटी देता है कि केर सांगरी जैसा उत्पाद प्रामाणिक है। यह उत्पाद स्थानीय ज्ञान का उपयोग कर बनाया गया है और पारंपरिक तरीकों का पालन करता है। केर सांगरी को क्षेत्र के बाहर के उत्पादकों की नकल करने से बचाता है। यह सुनिश्चित करता है कि केवल पारंपरिक तरीकों से बने राजस्थान के उत्पाद ही केर सांगरी नाम रख सकते हैं। यह व्यंजन की विशिष्टता की रक्षा करता है और नकली या घटिया संस्करण को बाजार में आने से रोकता है। जीआई टैग स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि केर और सांगरी उगाने वाले किसानों और इस व्यंजन को तैयार करने वाले कारीगरों को उनके काम के लिए उचित पारिश्रमिक मिलता है। हृदय संबंधी विकार में लाभदायक सांगरी कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय संबंधी विकार दूर करने में मदद करती है। इसमें सैपोनिन और फाइबर होते है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम कर गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है। डॉ. सुनील तेतरवाल, डॉ.हरीश नागपाल, चिकित्साधिकारी
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इस राजस्थानी सब्जी को जीआई टैग से मिलेगी विशेष पहचान, किसानों को मिलेंगे अच्छे भाव

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