राजस्थान के बीकानेर में होली पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, जिसे डोलची मार होली कहा जाता है। यह परंपरा बीते सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है, जिसमें हर्ष और व्यास जाति के लोग एक-दूसरे पर पानी से भरी डोलची से वार करते हैं। यह परंपरा होली से एक दिन पहले मनाई जाती है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग बीकानेर पहुंचते हैं।
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क्या है डोलची मार होली?
इस खेल में हर्ष और व्यास जाति के लोग हाथों में डोलची लेकर एक-दूसरे की पीठ पर पानी की तेज धार से वार करते हैं। जितना तेज पानी पड़ता है, उतना ही यह खेल रोमांचक बनता है। दिलचस्प बात यह है कि इस खेल को खेलने वालों को खुशी और उल्लास महसूस होता है। क्योंकि इसे प्रेम और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। दो लोग एक-दूसरे की तरफ पीठ किए खड़े रहते हैं। एक खिलाड़ी डोलची में पानी भरकर साथी की पीठ पर जोर से मारता है। फिर दूसरे खिलाड़ी को भी जवाब देने का मौका मिलता है। खेल के अंत में लाल गुलाल उड़ाकर और पारंपरिक गीत गाकर उत्सव का समापन किया जाता है।
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ऐसा कहा जाता है कि आचार्य समाज और व्यास जाति के बीच मृत्युभोज को लेकर विवाद हुआ था, जिससे दोनों जातियों के बीच संघर्ष भी हुआ। इस कटुता को समाप्त करने के लिए समाज की अन्य जातियों के साथ हर्ष जाति ने मध्यस्थता की। प्रेम और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए यह अनोखी होली खेलने की परंपरा शुरू की गई, जो आज तक जारी है।डोलची मार होली में बच्चे, बुजुर्ग, युवा सभी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। खेल के लिए बड़े-बड़े बर्तनों में पानी इकट्ठा किया जाता है, और पानी की कमी होने पर टैंकरों की व्यवस्था भी की जाती है। बीकानेर की यह परंपरा प्रेम, सौहार्द्र और अनोखे रंगों से भरी है, जिसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग जुटते हैं।
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