नगर परिषद के पूर्व सभापति संदीप शर्मा पर एक विवाहिता की ओर से लगाए गए यौन शोषण के आरोप और एफआईआर के बाद मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। यौन शोषण के आरोपों में माननीय उच्च न्यायालय ने संदीप शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगाई हुई है। वहीं, संदीप शर्मा की ओर से भी विवाहिता द्वारा ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज कराया गया था, लेकिन अब इस मामले में पीड़िता के पति ने सदर थाने में समझौते के दबाव का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। सदर थाने में पूर्व सभापित संदीप शर्मा, उनकी बहन स्नेहलता शर्मा और पूर्व सभापति के वाहन चालक रतनलाल बैरागी के विरूद्ध एफआईआर दर्ज हुई है। एफआईआर में बताया गया कि संदीप शर्मा लगातार विवाहिता पर राजीनामे का दबाव बना रहा है। इतना ही नहीं संदीप शर्मा की बहन स्नेहलता शर्मा और वाहन चालक रतनलाल बैरागी ने मिलीभगत कर अमानत स्वरूप दिए गए चेक का दुरूपयोग कर राजीनामे का दबाव बनाया। इनमें साढ़े सात लाख रुपये के अलग-अलग तीन चेक बैंक में लगाकर अपराधिक कृत्य किया गया।
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डमी टेंडर और कमीशन का आरोप
पीड़िता के पति ने एफआईआर में बताया कि पूर्व सभापति संदीप शर्मा के यहां पर रतनलाल वाहन चालक का काम करता था। शर्मा ने फर्जी फर्म के माध्यम से नगर परिषद में डमी टेंडर रतनलाल बैरागी के नाम से ले रखे थे। खुद ही टेंडर का संचालन करता था और उसे भी वर्किंग पार्टनर रतनलाल बैरागी के साथ बनाया था। प्रार्थी ने बताया कि ढाई-ढाई लाख रुपये के तीन चेक रतनलाल बैरागी के माध्यम से प्रार्थी से बतौर कमीशन के प्राप्त किये थे। कहा था कि बिल पास होने पर कमीशन काट लिया जाएगा। उसने बताया कि यह राशि उधार नहीं ली गई है, लेकिन अमानत में खयानत करते हुए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर राजीनामे का दबाव बनाया जा रहा है।
आईओ को दी जानकारी, पदीय कर्तव्य के दुरूपयोग का आरोप
रिपोर्ट में पीड़िता के पति ने बताया कि उसकी पत्नी द्वारा सदर थाने में यौन शोषण की एफआईआर दर्ज कराने के बाद लगातार उस पर राजीनामे का दबाव बनाया जा रहा था। इन चेक के संबंध में अनुसंधान अधिकारी को लिखित सूचना दी गई थी, लेकिन उन्होंने अनदेखी करते हुए चेक काे जब्त करने की कोई कार्रवाई नहीं की। रिपोर्ट में अनुसंधान अधिकारी गोपाल चंदेल पर पदीय कर्तव्यों के दुरूपयोग का आरोप लगाया। वहीं, उन पर भी कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। प्रार्थी ने चेक बाउंस के स्टेटमेंट की प्रति के साथ-साथ नोटिस जवाब की प्रति, अनुसंधान अधिकारी की शिकायत, रतन और संदीप शर्मा के साथ व्यापारिक लेनदेन के दस्तावेज और पूर्व सभापति द्वारा किए कॉल के रिकॉर्ड प्रस्तुत किये हैं। सदर थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद उपनिरीक्षक तुसलीराम द्वारा मामले की जांच की जा रही है।
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टेंडर के जरिए मिलती थी पीड़िता को पगार
सूत्रों के अनुसार पीड़िता ने यौन शोषण की जो एफआईआर दर्ज कराई थी उसमें नगर परिषद में संविदा पर नौकरी लगाने का झांसा देकर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। सूत्र बताते हैं कि एक टेंडर के माध्यम से पीड़िता को मासिक मानदेय दिया जाता था। यह मानदेय भी पूर्व सभापति के द्वारा ही दिया जाता था। बहरहाल पूरा मामला जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
डमी टेंडर के जरिए हो रहा था गड़बड़झाला
सदर थाने में पीड़िता के पति द्वारा एफआईआर दर्ज कराकर डमी टेंडर का मामला उजागर करने के बाद स्पष्ट हो गया है, कि नगर परिषद में फर्जीवाड़े का बोलबाला है। विभिन्न कामों के डमी टेंडर निकाले जाते थे और तत्कालीन सभापति स्वयं इनका संचालन करते थे। टेंडर में हुए फर्जीवाड़े के जरिए राजकोष को भी हानि पहुंचाने की आशंका है। ऐसे में इस पूरे मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा भी की जा सकती है। बहरहाल नगर परिषद में फर्जी टेंडरों के जरिये काम करवाने के मामले का खुलासा हो गया है।