अजमेर जिले में भारत सरकार की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें दर्जनों शिक्षण संस्थानों पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए छात्रवृत्ति की राशि हड़पने का आरोप लगा है। यह घोटाला वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान घटित हुआ, जिसमें 51 शिक्षण संस्थानों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इस मामले का खुलासा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा की गई जांच में हुआ है। अब सिविल लाइन थाना पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
फर्जीवाड़े की जड़ में शिक्षण संस्थानों की मिलीभगत
जानकारी के अनुसार, भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए ‘पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप’, ‘मेरिट कम मीन्स स्कॉलरशिप’ और ‘बेगम हजरत महल योजना’ चलाई जाती हैं। इन योजनाओं के तहत पात्र छात्रों से आवेदन एनएसपी (नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल) के माध्यम से लिए जाते हैं और छात्रवृत्ति की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी जाती है।
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हालांकि जांच में सामने आया कि कई संस्थानों ने फर्जी छात्रों के नाम, गलत दस्तावेज और मनगढ़ंत सूचनाओं के आधार पर आवेदन किए और सरकारी धन प्राप्त किया। वर्ष 2021-22 में 30 शिक्षण संस्थानों के छात्रों के नाम पर यह फर्जीवाड़ा किया गया, जबकि 2022-23 में 21 अन्य संस्थानों ने इसी तरह की धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
भौतिक निरीक्षण में खुला राज
जयपुर स्थित अल्पसंख्यक मामलात विभाग से निर्देश मिलने के बाद जिला कार्यालय ने संदिग्ध शिक्षण संस्थानों का भौतिक निरीक्षण किया। इस दौरान सामने आया कि पोर्टल पर दर्ज जानकारी वास्तविकता से मेल नहीं खा रही थी। छात्रों की उपस्थिति, नामांकन और दस्तावेजों के सत्यापन में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं।
जिला अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने दर्ज किया मामला
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी आशिमा कम्भज ने इस पूरे घोटाले की शिकायत सिविल लाइन थाना पुलिस को दी, जिसके आधार पर अब मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार प्रथम दृष्टया यह एक बड़ा वित्तीय घोटाला प्रतीत हो रहा है, जिसमें संस्थानों की मिलीभगत से लाखों रुपये की राशि छात्रों के नाम पर निकाल ली गई।
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दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में संबंधित संस्थानों के प्रबंधन, नोडल अधिकारियों और छात्रों की भूमिका की गहराई से जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और राज्य को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई सुनिश्चित की जाएगी।