राजस्थान सरकार विधानसभा में दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। पहला विधेयक कोचिंग सेंटर्स के नियमन से जुड़ा है, जबकि दूसरा भूजल निकासी के नियंत्रण से संबंधित है।
कोचिंग सेंटर्स पर बनेगा नया कानून
प्रदेश में कोचिंग संस्थानों की बढ़ती संख्या और विद्यार्थियों में बढ़ते तनाव को देखते हुए सरकार ने ‘दि राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (कंट्रोल एण्ड रेगुलेशन) विधेयक—2025’ पेश किया है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद प्रदेश में 50 या इससे अधिक विद्यार्थियों वाले सभी कोचिंग सेंटर्स को सरकार के नियमों का पालन करना होगा। प्रत्येक कोचिंग संस्थान का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया जाएगा।
राज्य में कोचिंग सेंटर्स की निगरानी के लिए एक नई अथॉरिटी बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता उच्च शिक्षा सचिव करेंगे। इसके अलावा, प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी, जो इन कोचिंग सेंटर्स पर नजर रखेगी। विधेयक का उद्देश्य विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और तनाव को कम करने के लिए एक अनुकूल माहौल तैयार करना है। कोचिंग सेंटर्स की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए राज्य स्तर पर एक पोर्टल बनाया जाएगा और काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी।
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भूजल निकासी पर आएगा संशोधित विधेयक
राजस्थान में भूजल संरक्षण और इसके उपयोग को नियंत्रित करने के लिए ‘राजस्थान भूजल (संरक्षण एवं प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक 2024’ को विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह विधेयक पहले भी सदन में लाया गया था, लेकिन विरोध के कारण इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था।
पिछली बार जब यह विधेयक चर्चा के लिए आया था, तब भाजपा के कई विधायकों ने इसे किसानों के हितों के खिलाफ बताते हुए विरोध किया था। राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस के कुछ विधायकों ने भी इसमें संशोधन की मांग की थी। विधायकों का कहना था कि यह बिल आम जनता और किसानों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। इसके बाद सरकार ने इसे प्रवर समिति को भेज दिया था। अब सरकार इस विधेयक को जरूरी संशोधनों के साथ दोबारा सदन में रखेगी। इसके कानून बनने के बाद भूजल दोहन की दरें तय की जाएंगी और जल संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
आगे की प्रक्रिया
इन दोनों विधेयकों पर विधानसभा में चर्चा होगी और बहस के बाद इन्हें पारित किया जा सकता है। कोचिंग सेंटर्स पर नए नियम लागू होने से विद्यार्थियों को सुरक्षित माहौल मिलेगा, जबकि भूजल संरक्षण पर सख्ती से जल संकट को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।