बाल अधिकार विशेषज्ञ डॉ. शैलेन्द्र पंड्या ने बताया कि चलाए गए विशेष जनजागरूकता अभियान से आमजन में जागरूकता बढ़ी है और अब लोग खुद आगे आकर बाल विवाह की सूचनाएं साझा कर रहे हैं। अक्षय तृतीया के दिन ही उदयपुर जिले में 3 बाल विवाह रोककर इस माह कुल 15 मामले विफल किए गए। इसके साथ ही चित्तौड़गढ़ जिले में 15, प्रतापगढ़ में 13 और सलूंबर में 4 बाल विवाह रोके गए।
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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर के सचिव कुलदीप शर्मा ने कहा कि बाल विवाह करना ही नहीं, उसमें किसी भी प्रकार से सहयोग करना जैसे पंडित, मौलवी, ढोली या सेवाएं उपलब्ध कराना भी कानूनी अपराध है। ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत कार्रवाई की जाती है।
यह विशेष अभियान 12 मई पीपल पूर्णिमा तक चलेगा, जिसका उद्देश्य अधिकतम बच्चों को समय रहते इस सामाजिक बुराई से बचाना है। यह पहल समाज और प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी की मिसाल बन चुकी है।
उदयपुर मे बाल विवाह रोकथाम मे बड़ी सफलता – फोटो : credit

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