RailTrans Expo 2025: नेशनल लॉजिस्टिक्स डे से पहले हालिया सालों में भारत के लॉजिस्टिक्स परिवर्तन पर रेलट्रांस एक्सपो 2025 का आयोजन भारत मण्डपम में किया जा रहा है. इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित ये पांचवां रेलट्रांस एक्सपो जिसका विषय “यूनिफाइंग कॉरिडोर्स और स्मार्ट लॉजिस्टिक्स फॉर सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर”, जो एक्सपो की थीम लॉजिस्टिक्स 360 फॉर विकसित भारत के अनुरूप रहा.
एक्सपो के आज के सेशन में इस सीनियर पॉलिसी मेकर्स, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के अग्रणी नेताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया, जिन्होंने विकसित भारत 2047 की परिकल्पना के तहत एकीकृत, तकनीक-सक्षम और भविष्य-उन्मुख लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम बनाने की साझा दृष्टि पर चर्चा की.
भारत को लॉजिस्टिक्स महाशक्ति बनाने की दिशा में कामसेशन के दौरान कई प्राथमिकता वाले विषयों पर चर्चा हुई, जैसे कि भारत को लॉजिस्टिक्स महाशक्ति बनाने की दिशा में रोडमैप, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के माध्यम से मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क्स में निवेश को बढ़ावा देना, राज्य-विशेष लॉजिस्टिक्स नीतियों और प्रोत्साहनों के माध्यम से क्षेत्रीय विकास को मजबूत करना, और यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) के माध्यम से डेटा एक्सेस को सरल बनाकर निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाना हो. इसके अलावा, MSMEs, सहकारी संस्थाओं और ग्रामीण आपूर्ति श्रृंखलाओं को राष्ट्रीय नेटवर्क में शामिल करने वाले समावेशी लॉजिस्टिक्स ढांचे की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया.
केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति का बयानगति शक्ति विश्वविद्यालय (रेल मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. (डॉ.) मनोज चौधरी ने कहा कि लॉजिस्टिक्स अब सिर्फ सामानों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना भर नहीं रहा बल्कि यह विकसित भारत को गति देने वाला इंजन बन गया है. अत्याधुनिक अवसंरचना, एकीकृत डिजिटल प्रणालियां, और कुशल जनशक्ति के साथ, भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र समावेशी विकास, मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रहा है. इस दिशा में ‘ट्रस्ट’ और ‘टेक्नोलॉजी’ हमारी राह को परिभाषित कर रहें हैं.
ICC के नेशनल लॉजिस्टिक्स एंड सप्लाई चेन कमेटी के चेयरमैनसत्र को संबोधित करते हुए ICC के नेशनल लॉजिस्टिक्स एंड सप्लाई चेन कमेटी के चेयरमैन व वेस्टर्न कैरियर्स के CEO कनिष्क सेठिया ने कहा कि 28 लाख करोड़ रूपए (लगभग $338 बिलियन) का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र, जो भारत के GDP का लगभग 14% है, वह 2027 तक $5 ट्रिलियन इकोनॉमी की राह का आधार है. सरकार की 100 लाख करोड़ रूपए की गति शक्ति योजना, जिसमें 1.46 लाख किलोमीटर हाइवे का डिजिटलीकरण, 200 रेलवे टर्मिनलों का आधुनिकीकरण, और 300 मल्टीमॉडल हब्स शामिल हैं, राष्ट्रीय स्तर पर सिस्टम इंजीनियरिंग का उदाहरण है. लेकिन यह यात्रा केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर से नहीं चलेगी, हमें बिखरे हुए ढांचे को एकजुट करना होगा, प्रतिभा की कमी को दूर करना होगा और ग्रीन लॉजिस्टिक्स को रणनीतिक आर्थिक लाभ के रूप में अपनाना होगा.
रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीरेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सुरेन्द्र कुमार अहीरवार, IRTS, कार्यकारी निदेशक (ट्रैफिक कमर्शियल), रेलवे बोर्ड ने कहा कि लॉजिस्टिक्स अब सहायक नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का मुख्य आधार बन चुका है. PM गति शक्ति और नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी जैसे प्रगतिशील नीतियों के साथ हम मोड, नोड और नेटवर्क को एकीकृत कर रहे हैं, ताकि निर्बाध, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो सके. रेलवे, जो अब ₹4–5 लाख करोड़ की परियोजनाओं में निवेश कर रहा है, को सतत परिवहन की रीढ़ के रूप में पुनर्स्थापित किया जा रहा है.
रेलवे बोर्ड के एडिशनल मेंबर रेलवे बोर्ड के एडिशनल मेंबर जयदीप गुप्ता ने कहा कि यह मंच केवल संवाद का नहीं बल्कि एक साझा संकल्प का प्रतीक है. भारत को वैश्विक लॉजिस्टिक्स पावरहाउस बनाने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र का निकट सहयोग आवश्यक है. स्मार्ट निवेश, समावेशी विकास मॉडल और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करके हम लॉजिस्टिक्स को ही नहीं, बल्कि एक विकसित भारत की आधारशिला बना रहे हैं.”गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में बोलते हुए, प्रो. (डॉ.) मनोज चौधरी ने यह भी दोहराया कि आधुनिक लॉजिस्टिक्स की जटिलताओं को समझने और संभालने में सक्षम एक नई पीढ़ी के कुशल पेशेवरों का विकास जरूरी है.
लॉजिस्टिक्स लागत को घटाने का लक्ष्यसेशन के आखिर में विकास लोहिया, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, जुपिटर वैगन्स एवं चेयरमैन, रेलवेज एक्सपर्ट कमेटी, ICC, ने कहा कि विकसित भारत 2047 की दिशा में लॉजिस्टिक्स सिर्फ एक सहायक नहीं, बल्कि आर्थिक परिवर्तन का मुख्य चालक है. मजबूत नीति ढांचे, मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल एकीकरण और स्थिरता पर केंद्रित दृष्टिकोण से हम एक ऐसा लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम बना रहे हैं जो कुशल, भविष्य-तैयार और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी है. लॉजिस्टिक्स लागत को 15% से घटाकर 7–8% GDP तक लाना केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि ज़रूरत है.
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