2 अप्रैल (बुधवार) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत भारत पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इस फैसले के बाद भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है. विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए इस फैसले को देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बताया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अमेरिकी टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी.” इस मुद्दे पर विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं. आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने भी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि अमेरिका से बेहतर व्यापारिक संबंध होने के बावजूद भारत पर इतना भारी टैरिफ क्यों लगाया गया.
रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है?
रेसिप्रोकल टैरिफ यानी आयात शुल्क वह कर होता है, जो किसी देश की सरकार दूसरे देशों से आने वाले सामान पर लगाती है. जब कोई कंपनी विदेश से सामान मंगाती है, तो उसे यह शुल्क सरकार को देना होता है. आमतौर पर, कंपनियां यह खर्च ग्राहकों से वसूल लेती हैं.
अमेरिका ने भारत पर कितना शुल्क लगाया?
अमेरिका ने पहले से ही भारत के इस्पात, एल्युमीनियम, वाहन और उनके पार्ट्स पर 25% आयात शुल्क लगा रखा था. अब, अमेरिका ने भारत से आने वाले बाकी उत्पादों पर 5 से 8 अप्रैल के बीच 10% नया शुल्क लगाने का फैसला किया है. इसके बाद 9 अप्रैल से यह शुल्क बढ़कर 27% तक हो जाएगा. अमेरिका के इस फैसले का असर 60 से ज्यादा देशों पर पड़ेगा.
भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर कितना शुल्क लगा?
चीन पर 54%
वियतनाम पर 46%
बांग्लादेश पर 37%
थाईलैंड पर 36%
इसका असर क्या होगा?
भारत के लिए अमेरिका को सामान बेचने (निर्यात) में मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि ज्यादा शुल्क से भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे. इससे भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है.
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