कोर्ट ने दिया ये तर्क एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति अर्चना पुरी ने कहा है कि जहां तक वित्तीय सुरक्षा का सवाल है, यह अच्छी बात है कि पिता बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। यह पिता का कर्तव्य है। बच्चे की इस उम्र में इससे बच्चे के व्यक्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। वित्तीय सुरक्षा ही सब कुछ नहीं कोट ने कहा कि वित्तीय कोष से बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ठीक है। लेकिन फिर भी इस स्तर पर बच्चे का वित्तीय कोष से कोई सरोकार नहीं है। बच्चा खुशी-खुशी अपनी मां के साथ रह रहा है और (पिता के) मिलने-जुलने के अधिकार जारी रहेगा। चार महीने में एक बार बाहर घूमने का प्लान ऐसा करते समय, कोर्ट ने कहा कि माता-पिता दोनों के रूप में बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को भी ध्यान में रखना होगा। दम्पति को यह भी आदेश किया कि वे अभिभावक कोर्ट को उचित सूचना देने के बाद, हर चार महीने में एक बार परिवार के साथ बाहर घूमने की योजना पर विचार करें। यह भी पढ़ें Supreme Court ने Atul Subhash के 4 वर्ष के बेटे की कस्टडी दादी को नहीं दी, मां के पास ही रहेगा बच्चा पांच से साल से अलग रहा है पिता कोर्ट ने पिता द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई की। जिसमें अभिभावक न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत उसे केवल मुलाकात का अधिकार दिया गया था। माँ और बच्चा 2019 से पति से अलग रह रहे थे। बच्चे का कल्याण और हित सर्वोपरि न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार, बच्चे की अंतरिम हिरासत के प्रश्न पर निर्णय करते समय परिस्थितिजन्य लचीलापन होना चाहिए। कोर्ट को स्थिति की मांग के अनुसार उचित आदेश पारित करने के उद्देश्य से हर समय सतर्क रहना चाहिए। यह ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे का कल्याण और हित सर्वोपरि है।
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