President rule In Manipur: मणिपुर में एन बीरेन सिंह के रविवार को CM पद से इस्तीफे के बाद गुरुवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. सीएम के इस्तीफे के बाद से माना जा रहा था कि पार्टी सर्वसम्मति से सीएम उम्मीदवार नहीं ढूंढ पाई, ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में एक उच्चपदस्थ सूत्र के हवाले से बताया गया है कि बीजेपी मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने से बच रही थी, क्योंकि पार्टी सैद्धांतिक रूप से इसके खिलाफ रही है. मणिपुर में मई 2023 से जारी हिंसा के बाद बीरेन सिंह के लिए समर्थन कम हो गया था. इतना ही नहीं पार्टी के भीतर ही कई नेताओं ने उनकी आलोचना की थी.
कैसे लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन?
संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है. अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू होने से राज्य सरकार के सभी कार्यों को प्रभावी ढंग से केंद्र को और राज्य विधानमंडल के कार्यों को संसद को हस्तांतरित कर दिया जाता है. हालांकि, कोर्ट की कार्यप्रणाली अपरिवर्तित रहती है.
कितनी अवधि तक लगाया जा सकता है राष्ट्रपति शासन?
राष्ट्रपति शासन की प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब राष्ट्रपति राज्यपाल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट से संतुष्ट होते हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसमें राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती है. इसके बाद राष्ट्रपति इसकी उद्घोषणा जारी करते हैं. राष्ट्रपति शासन दो महीने तक लागू रह सकता है. इसकी अवधि बढ़ाने के लिए इसके खत्म होने से पहले लोकसभा और राज्यसभा को एक प्रस्ताव के माध्यम से मंजूरी देनी होती है. अगर दोनों सदनों से मंजूरी मिल जाती है तो राष्ट्रपति शासन की घोषणा को 6 महीने और बढ़ाया जा सकता है. संसद 6 महीने के विस्तार को तीन साल तक मंजूरी दे सकती है.
भारत में कितनी बार लगा राष्ट्रपति शासन?
1950 में जब संविधान पहली बार लागू हुआ, उसके बाद से 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 134 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है. इसे सबसे अधिक बार मणिपुर और उत्तर प्रदेश में 10-10 बार लगाया गया है. हालांकि, ये वे राज्य नहीं हैं (केंद्र शासित प्रदेशों समेत) जिनमें सबसे अधिक समय तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा. जम्मू-कश्मीर, पंजाब और पुडुचेरी सबसे अधिक समय तक राष्ट्रपति शासन के तहत रहे. 1950 के बाद से जम्मू-कश्मीर ने राष्ट्रपति शासन के तहत 12 साल (4,668 दिन) से अधिक समय बिताया है और इसी अवधि में पंजाब 10 साल (3,878 दिन) से अधिक समय तक केंद्रीय नियंत्रण में रहा. जम्मू कश्मीर और पंजाब में उग्रवादी और अलगाववादी गतिविधियों और अस्थिर कानून व्यवस्था की स्थितियों का हवाला देकर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.
मणिपुर से पहले पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, जब 2021 में यहां कांग्रेस सरकार विश्वास मत में विफल रहने के बाद सत्ता से बेदखल हो गई थी. पुडुचेरी ने अपने इतिहास में राष्ट्रपति शासन के तहत 7 साल (2,739 दिन) से अधिक समय बिताया है, जिसका मुख्य कारण आंतरिक कलह या दलबदल के कारण विधानसभा में सरकारों के समर्थन खोने के मामले हैं.
राष्ट्रपति शासन पर सुप्रीम कोर्ट का क्या है कहना?
सुप्रीम कोर्ट ने एसआर बोम्मई बनाम भारत संघ (1994) के मामले में राष्ट्रपति शासन लगाने की शक्ति और केंद्र-राज्य संबंधों पर इसके प्रभाव पर व्यापक सुनवाई की थी. केंद्र द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने और राज्य सरकार को बर्खास्त करने की कई घटनाओं के बाद मामला कोर्ट में आया था.
9 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से माना कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने की राष्ट्रपति की शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है. हालांकि, अदालतें इस फैसले की जांच कर सकती हैं कि क्या यह फैसला अवैधता, दुर्भावनापूर्ण, बाहरी विचारों, शक्ति का दुरुपयोग या धोखाधड़ी से ग्रस्त है?
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि कोर्ट राष्ट्रपति शासन लगाने के राष्ट्रपति के फैसले की सत्यता पर विचार नहीं कर सकती है, वह यह जांच कर सकती है कि राष्ट्रपति को प्रदान की गई रिपोर्ट राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए प्रासंगिक थी या नहीं.
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