प्रयागराज महाकुंभ में प्रशासन से कहां हुई चूक? मौनी अमावस्या पर भगदड़ के 6 बड़े कारण

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Mahakumbh Stampede: महाकुंभ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच गए. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के लिए देर रात संगम नोज पर इतनी भीड़ इकट्ठी हो गई कि भगदड़ मच गई. इस हादसे में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हैं. ऐसा नहीं है कि प्रशासन को श्रद्धालुओं की संख्या का अंदाजा नहीं था, फिर ऐसा क्या हुआ कि इतनी सतर्कता के बावजूद सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं और इतना बड़ा हादसा हो गया. आइए जानते हैं कि भगदड़ के कारण क्या थे-  
1- संगम नोज की ओर भेजे गए श्रद्धालु 
महाकुंभ मेला में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन की ओर से होल्डिंग एरिया बनाए गए थे. शायद मेला प्रशासन ने इन सभी होल्डिंग एरिया का इस्तेमाल नहीं किया. जब भारी संख्या में श्रद्धालु कुंभ मेला पहुंच रहे थे तो वो कहीं भी बैठ जा रहे थे क्योंकि रात में तो स्नान करना नहीं था. जब श्रद्धालु अलग-अलग जत्थों में बैठे हुए थे तो उन्हें रात आठ बजे के बाद ही संगम की ओर भेजना शुरू कर दिया गया. ऐसे में संगम पर रात नौ बजे से ही भारी भीड़ उमड़ी और फिर भगदड़ जैसी स्थिति बन गई.  
2- प्रशासन का वन-वे प्लान नहीं किया काम 
प्रशासन ने महाकुंभ के हर स्नान के लिए वन-वे प्लान बनाया था. इसके मुताबिक, श्रद्धालु काली सड़क से त्रिवेणी बांध पार कर संगम अपर रास्ते से होते हुए संगम नोज तक जाएंगे और फिर अक्षयवट रास्ते से होते हुए त्रिवेणी मार्ग से बाहर निकल जाएंगे. प्रशासन के इस वन-वे प्लान ने काम नहीं किया. श्रद्धालुओं की भीड़ संगम अपर मार्ग पर छाई रही, अक्षयवट रास्ते पर बहुत कम लोग गए. इस भगदड़ के पीछे की ये एक बड़ी वजह रही क्योंकि लोग एक ही रास्ते से आने-जाने की कोशिश करते थे. 
3- पांटून पुलों का बंद रखना भी गलती 
महाकुंभ नगर मेला क्षेत्र में प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए 30 पांटून पुलों को तैयार किया था, लेकिन 10 से ज्यादा पुलों को हमेशा बंद रखा गया. इसकी वजह से झूंसी की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है. इनमें बुजुर्ग और महिला तीर्थयात्री थककर संगम नोज पर काफी देर बैठ जाते हैं. जिसकी वजह से संगम पर भीड़ जमा होती रही और जिसकी वजह से ये हादसा हो गया. 
4- प्रमुख रास्तों पर बैरिकेडिंग से बिगड़े हालात 
प्रशासन ने कुंभ मेला में सड़कों को खूब चौड़ा किया, लेकिन उनमें से कई सड़कों को बंद रखा. इसके अलावा कई प्रमुख रास्तों पर बैरिकेडिंग भी की गई थी, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को लगातार चलना पड़ा और पैदल चलकर जाने में श्रद्धालु थक जाते हैं. वो फिर संगम के किनारे जाकर बैठ जाते हैं और जल्दी नहीं निकलना चाहते. संगम पर भीड़ रहना भी हादसे की वजह बना. 
5- सुरक्षाबलों का कैंप बहुत दूर था 
महाकुंभ के सेक्टर-10 में सीआईएसएफ का कैंप था. प्रशासन ने अलग-अलग सेक्टरों में सीआईएसएफ का कैंप नहीं लगाया था. इसीलिए जब देर रात भगदड़ मची तो कंपनी को बुलाया गया, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी किन उन्हें सेक्टर-3 के इलाके तक आने में बहुत समय लग गया, जिसकी वजह से हालात बिगड़े. अगर हर सेक्टर में सीआईएसएफ का कैंप लगा होता तो ऐसी स्थिति से आसानी से निपटा जा सकता था.
6- श्रद्धालुओं को रात 8 बजे से भेजना
मौनी अमावस्या के स्नान के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचते हैं. इसलिए दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में नहाने के लिए संगम तट के निकट जल्दी पहुंच जाते हैं और फिर वहीं सो जाते हैं. इससे जगह की कमी हो जाती है. प्रशासन को उनके लिए संगम से पहले ही व्यवस्था करनी थी ताकि श्रद्धालुओं को रात आठ बजे से नहीं बल्कि दो बजे के बाद वहां से संगम नोज के लिए व्यवस्थित तरीके से रवाना किया जाए. ऐसी स्थिति में वह स्नान कर आराम से महाकुंभ मेले से निकल जाते.
मेला अधिकारी और DIG ने क्या बताया? 
महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद और डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने बताया था कि ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालुओं की भीड़ संगम नोज की तरफ बढ़ गई थी. रात एक बजे से दो बजे के बीच भीड़ बढ़ने लगी थी. अखाड़े की कुछ बैरिकेडिंग तोड़कर श्रद्धालु नीचे जमीन पर सो रहे थे. उनके ऊपर दूसरे श्रद्धालु अफरा-तफरी में चढ़ गए जिससे नीचे सोए हुए श्रद्धालु कुचल गए. तत्काल ग्रीन कॉरिडोर बनाया और एंबुलेंस के माध्यम से लगभग 90 घायलों को अस्पताल में पहुंचाया गया लेकिन इसमें से दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. 
प्रशासन ने किए कई अहम बदलाव
इस हादसे के बाद प्रशासन ने महाकुंभ को लेकर कई बदलाव किए हैं. इनमें मेला क्षेत्र को पूरी तरह नो व्हीकल जोन, वीवीआईपी पास कैंसिल करना, वन-वे रूट का सख्ती से पालन कराना, पड़ोसी जिलों से आ रहे वाहनों को बॉर्डर पर ही रोकना और कारों को पूरी तरह बैन कर दिया गया है.

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