पेगासस मामले की पूरी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी बातें भी हैं. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को अपनी निजता प्रभावित होने की आशंका हो, तो वह आवेदन दे. हम प्रयास करेंगे कि उसे उसके बारे में जानकारी दें. 30 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी.
क्या है मामला?वरिष्ठ पत्रकार एन राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास समेत 15 याचिकाकर्ताओं ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उन्होंने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए लोगों की जासूसी किए जाने का अंदेशा जताया था. 27 अक्टूबर 2021 को कोर्ट ने मामले कि सच्चाई जांचने के लिए 3 सदस्यीय तकनीकी कमेटी बनाई थी. कमेटी की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर वी रवींद्रन को नियुक्त किया गया था.
2022 में आई रिपोर्टजांच कमेटी ने 2022 में रिपोर्ट सौंप दी थी. कमेटी ने अपनी तरफ से जांचे गए किसी भी मोबाइल में पेगासस स्पाइवेयर होने की पुष्टि नहीं की थी. कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसे लोगों की तरफ से कुल 29 फोन दिए गए. 5 में मालवेयर होने का अंदेशा पाया गया, लेकिन यह तय नहीं हो पाया कि यह पेगासस ही है. कमेटी ने भविष्य में लोगों की निजता की सुरक्षा को लेकर कुछ सुझाव भी दिए थे.
सिब्बल ने नया सबूत रखने की अनुमति मांगीएक याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अमेरिका की कोर्ट का फैसला रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति मांगी. उन्होंने कहा, ‘इस फैसले में लिखा है कि व्हाट्सएप ने भारत में पेगासस का इस्तेमाल होने की बात मानी है.’ कोर्ट ने कहा कि यह दलीलें सुनवाई कs शुरुआती दौर में रखी जाती हैं. कोर्ट खुद कमेटी बना कर जांच करवा चुका है. हालांकि, बाद में कोर्ट ने सिब्बल को दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति दी.
‘सरकार के पास स्पाइवेयर होना गलत नहीं’सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने एक अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सरकार के पास स्पाइवेयर होने में कुछ गलत नहीं है. इसकी जरूरत राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में पड़ सकती है. कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि एक आतंकवादी निजता की दुहाई नहीं दे सकता.
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