J&K चुनाव लड़ने की चाहत में गिरफ्तार हुआ PAK रिटर्न हिज्बुल का आतंकी! 31 साल बाद गिरफ्तार

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<p style="text-align: justify;">उत्तर प्रदेश में पुलिस पर 1993 में हुए ग्रेनेड हमले के लिए वांछित एक आतंकवादी को 31 साल की फरारी के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी नजीर अहमद वानी, जिसे मुस्तफा बानी और जावेद इकबाल के नाम से भी जाना जाता है, को जम्मू-कश्मीर के बडगाम के राख हकरमुला इलाके में उसके घर से गिरफ्तार किया गया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">51 साल के नजीर अहमद वाणी ने विधानसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला खिलाफ बडगाम निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था. उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस), देवबंद पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त अभियान में पकड़े जाने से पहले दशकों तक नज़ीर दो प्रदेशो की पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है आरोप?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">वानी 1993 और 1994 में सहारनपुर में दर्ज दो मामलों में शामिल था और उस पर पुलिस दल पर ग्रेनेड फेंकने और कर्मियों को घायल करने का आरोप है. पुलिस ने कहा है कि वानी ने हिजबुल के निर्देशों के तहत एक फर्जी पहचान पत्र भी बनाया था और जमानत पर छूटने के बाद गिरफ्तारी से बच रहा था. यूपी पुलिस ने कहा कि &ldquo;इससे पहले ग्रेनेड मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था और जमानत मिल गई थी, जबकि जालसाजी मामले में उसकी अनुपस्थिति में आरोप पत्र दाखिल किया गया था इसलिए सीजेएम कोर्ट ने उसके खिलाफ वारंट जारी किया और 25 हजार का इनाम घोषित किया गया.&rdquo;&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>गिरफ्तारी का कारण</strong></p>
<p style="text-align: justify;">वानी की गिरफ्तारी का कारण उसका राजनीति में प्रवेश हो सकता है. हालांकि, पुलिस वास्तविक घटनाओं के बारे में चुप है, जिसके कारण तीन दशक से ज्यादा समय के बाद उसकी गिरफ्तारी हुई. यूपी पुलिस ने इस मुद्दे पर कोई बयान जारी नहीं किया है&hellip; कि क्या उन्होंने पहले आरोपी का विवरण साझा किया था और कैसे वह न केवल गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा, बल्कि राजनीति में भी प्रवेश किया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ा चुनाव&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पुलिस अधिकारी ने कहा, "2024 के विधानसभा चुनावों में वानी ने बडगाम से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. उनके चुनावी हलफनामे से पता चला कि बडगाम पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एक लंबित आपराधिक मामला (एफआईआर संख्या 1/2023) है." हालांकि, हलफनामे में ग्रेनेड हमले और जालसाजी के मामलों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, जिसके लिए वह फरार था."&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कितनी है संपत्ति?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हलफनामे में खुलासा किया गया है कि वानी के पास 3.15 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति और 5.5 लाख रुपये की चल संपत्ति है. उनकी पत्नी ने 1 करोड़ रुपये और 6.12 लाख रुपये की संपत्ति घोषित की है. साथ ही 16.2 लाख रुपये की देनदारियां हैं, जिसमें 7.7 लाख रुपये का आवास ऋण भी शामिल है. वानी ने दावा किया कि उसने पिछले पांच सालों से आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है, जबकि उसकी पत्नी ने 2024 के लिए 3,21,300 रुपये की वार्षिक आय बताई है. दोनों ने अपने व्यवसाय को व्यवसायी के रूप में सूचीबद्ध किया है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>राजनीतिक गतिविधियों और आय के स्रोतों की होगी जांच</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अधिकारी अब जांच कर रहे हैं कि क्या वाणी की राजनीतिक गतिविधियां खुद को कानून प्रवर्तन से बचाने की रणनीति का हिस्सा थीं. जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी ने पुष्टि की, "आरोपी को यूपी पुलिस को सौंप दिया गया है, लेकिन उसकी राजनीतिक गतिविधियों और आय के स्रोतों की जांच की जाएगी."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a href=" और बीजेपी ने चुनाव आयोग से मांगी 7 दिनों की मोहलत, स्टार प्रचारकों पर लगे थे भड़काऊ भाषण देने के आरोप</a></strong></p>

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