ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है. कोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को मामले की जांच के लिए 3 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की विशेष जांच टीम (SIT) बनाने को कहा है. हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे खान से कोर्ट ने कहा है कि वह जांच में सहयोग करें. साथ ही, फिलहाल आतंकवादी हमले और उस पर भारत के जवाब के बारे में कोई टिप्पणी न करें.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के सामने खान की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए. उन्होंने कहा कि यह पोस्ट युद्ध के दुष्परिणामों के बारे में था. लेकिन इसमें कोई देश विरोधी बात नहीं कही गई. पोस्ट में कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका की भी सराहना की गई है. साथ ही कहा गया है कि बीजेपी की नीतियों के चलते देश में मॉब लिंचिंग में मारे जा रहे और बुलडोजर एक्शन से प्रभावित मुसलमानों पर ध्यान देना चाहिए.
जस्टिस सूर्य कांत ने कहा, ‘यानी आप युद्ध के बुरे असर की बात करते करते राजनीतिक बातें करने लगे. जब पूरा देश एक संकट के खिलाफ एकजुट था, तब इस तरह की बातें करने की क्या ज़रूरत थी?’ इस पर सिब्बल ने कहा कि इस पोस्ट को करने का समय गलत है. लेकिन इसके लिए एफआईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए थी. याचिकाकर्ता का इरादा गलत नहीं था.
कोर्ट ने कहा कि कई बार ऊपरी तौर पर सही दिखने वाले बयान में कुछ छुपे हुए अर्थ भी हो सकते हैं. कुछ शब्दों के दोहरे मतलब हो सकते हैं. याचिकाकर्ता प्रोफेसर है. उसके पास शब्दों की कमी नहीं होगी. फिर बात को ऐसे क्यों कहना जिससे दूसरे लोगों को बुरा लगे? बयान सही था या नहीं? इसे देने वाले का मकसद क्या था? यह सब जांच का विषय है. सिब्बल ने कहा कि एसोसिएट प्रोफेसर की पत्नी 9 महीने की गर्भवती है. ऐसे समय में वह हिरासत में है.
हरियाणा सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि याचिका हाई कोर्ट में दाखिल होनी चाहिए थी. जजों ने इससे सहमति जताई, लेकिन कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनने का निर्णय लिया है. इसलिए, राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए. इस पर राजू ने कहा कि उनके पास याचिका की कॉपी नहीं है. उसे देख कर वह जवाब दाखिल करेंगे. कोर्ट 2 दिन का समय दे. शुक्रवार को सुनवाई करे.
इसके बाद कोर्ट ने आदेश लिखवाया. कोर्ट ने कहा, ‘जांच पर रोक का कोई आधार नहीं है. हम मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं. साथ ही, बेहतर जांच के लिए एसआईटी बनाने का आदेश दे रहे हैं. हरियाणा के डीजीपी 24 घंटे में 3 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की टीम बनाएं. यह अधिकारी मूल रूप से हरियाणा के बाहर के रहने वाले हों. टीम का नेतृत्व आईजी रैंक के अधिकारी करें. इसमें एक महिला अधिकारी भी हो.’
इसके आगे कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को फिलहाल अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाए. ज़मानत की शर्तें सोनीपत की कोर्ट तय करे. अली खान अपना पासपोर्ट जमा करवाए. सोशल मीडिया पर कोई विवादित पोस्ट न करे. पहलगाम आतंकी हमले या ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कोई टिप्पणी न करे.
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर मामले की जांच में नए तथ्य सामने आते हैं, तो प्रोफेसर खान को दोबारा पुलिस रिमांड में लिया जा सकता है. सुनवाई के दौरान बेंच ने अशोका यूनिवर्सिटी की आलोचना करते हुए कहा कि निजी विश्विद्यालय बना कर वहां किसी को भी रख लिया जाता है. हमने देखा कि प्रोफेसर और छात्र कोर्ट के बाहर जमा हुए थे. अगर उन्होंने कुछ अवांछित किया, तो यह विश्विद्यालय भी हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं है.
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