आकाश एयर डिफेंस सिस्टम बनाने वाले डॉ. प्रहलाद रामाराव बोले- ‘अपने बच्चे को दुश्मन के…’

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भारत पाकिस्तान में तनाव चरम पर पहुंचने के बाद गुरुवार (8 मई, 2025) को पाकिस्तान की तरफ से भारत पर ताबड़तोड़ ड्रोन हमले किए गए. इन ड्रोन हमलों को भारतीय सेना ने आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम की मदद से नाकाम किया. सभी ड्रोन को हवा में मार गिराया गया. 
स्वदेशी रूप से विकसित आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली एक सतह से हवा में मार करने वाली प्रणाली है, जिसे एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. आकाश सिस्टम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. प्रहलाद रामाराव ने 15 वर्षों की कड़ी मेहनत से विकसित किया है.
‘यह जीवन का सबसे खुशी का दिन है’NDTV से बात करते हुए डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक रामाराव ने बताया कि यह जीवन का सबसे खुशी का दिन है. अपने बच्चे को दुश्मन के हवाई लक्ष्यों को इतनी सटीकता और खूबसूरती से मार गिराते हुए देखना. उन्होंने आगे कहा कि जब मैंने देखा कि यह उम्मीद से बढ़कर काम कर रहा है. टारगेट को प्रभावी ढंग से निशाना बना रहा है तो मेरी आंखों में आंसू आ गए.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने चुना था रामाराव को78 साल के डॉ. प्रहलाद रामाराव ने बताया कि वो उस वक्त आकाश प्रोग्राम के सबसे कम उम्र के परियोजना निदेशक थे, जब उन्हें भारत के मिसाइल मैन के नाम से विख्यात और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इस काम के लिए चुना था. उन्होंने याद करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने इस प्रणाली को हासिल करने में हिचकिचाहट दिखाई थी, जिसे उन्होंने और उनके सहयोगियों ने ड्रोन, मिसाइलों, हेलीकॉप्टरों और यहां तक ​​कि अमेरिका निर्मित सुपरसोनिक एफ-16 लड़ाकू जेट जैसे अत्यधिक गतिशील विमानों को रोकने के लिए डिजाइन किया था, जिन्हें पाकिस्तानी पायलट उड़ाते हैं.
क्या है आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम?आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम हैदराबाद में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने बनाया है. ये सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो हवाई खतरों से सुरक्षा देती है. यह एक समय में कई लक्ष्यों को समूह में या स्वायत्त रूप से निशाना बना सकती है. इसमें बिल्ट इन इलेक्ट्रॉनिक काउंटर उपाय हैं और पूरी प्रणाली को मोबाइल प्लेटफॉर्म पर कॉन्फिगर किया गया है, जिससे यह सेना के लिए अत्यधिक कुशल और शक्तिशाली बन गई है.
आकाश सिस्टम 20 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर लक्ष्यों को निशाना बना सकता है. प्रत्येक लॉन्चर में तीन मिसाइलें होती हैं. ये फायर एंड फॉरगेट मोड में काम करती हैं और प्रत्येक मिसाइल लगभग 20 फीट लंबी होती है. इसका वजन 710 किलोग्राम होता है. प्रत्येक मिसाइल में 60 किलोग्राम का वारहेड होता है. आकाश सिस्टम को 6,000 करोड़ रुपये में आर्मेनिया को निर्यात किया गया था. डॉ. रामाराव ने बताया कि आकाश के लिए उनकी टैगलाइन सारा आकाश हमारा है, यानी पूरा आकाश हमारा है. आज उनकी हथियार प्रणाली उसी प्रतिष्ठा पर खरी उतरी.
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