‘राज्य और धर्म के बीच संबंध…’, इस्लाम को लेकर क्या बोले NSA अजीत डोभाल?

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<p style="text-align: justify;">राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कहा कि राज्य और धर्म के बीच संबंध इस्लाम में अनोखी घटना नहीं है. इतिहास के अलग-अलग चरणों में अवधारणा बदल गई है. हालांकि अब्बासी शासन में राज्य और इमामों की भूमिका को लेकर स्पष्टता थी. एनएसए ने यह बातें अहमद टी कुरु की किताब ‘इस्लाम, ऑथरिटेरियनिस्म एंड अंडर डेवलपमेंट’ लॉन्च करते हुए कहीं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जो पीढ़ियां लीक से हटकर ना सोच सकीं: NSA डोभाल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एनएसए अजीत डोभाल ने हिंदू धर्म का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में झगड़ों को मेडिडेशन से सुलझाया जाता था और सामाजिक झगड़ों को बातचीत से सुलझाया जाता था. उन्होंने कहा कि वे पीढ़ियां जो लीक से हटकर नहीं सोच सकीं वो स्थिर हो गईं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>NSA ने दिया प्रिंटिंग प्रेस का उदाहरण</strong></p>
<p style="text-align: justify;">डोभाल ने प्रिंटिंग प्रेस का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि प्रिंटिंग प्रेस को अपनाने का विरोध एक उदाहरण है, जहां इमाम वर्ग की ओर से विरोध हुआ. उन्होंने सोचा कि प्रिंटिंग प्रेस के आगमन से इस्लाम का जो अर्थ उन्हें वास्तविक लगता था, उसकी ठीक से व्याख्या नहीं हो सकेगी.&nbsp;&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>धर्म या राज्य के प्रति निष्ठा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए: अजीत डोभाल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एनएसए डोभाल ने कहा कि राज्यों और समाजों द्वारा आत्मनिरीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है. धर्म या राज्य के प्रति निष्ठा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. हमें अपने दिमाग को कैद नहीं होने देना चाहिए. अगर आप आत्मनिरीक्षण नहीं करते हैं तो आप समय और दिशा खो देते हैं. अगर बहुत देर से किया तो आप पिछड़ जाते हैं. किसी भी विचार या विचारधारा को प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हम समाज की ऐसी परस्पर विरोधी मानसिकताओं का समाधान कैसे करते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एमजे अकबर ने क्या कहा?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अहमद टी कुरू की इस पुस्तक की लॉन्चिंग पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर भी शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोकतंत्र वाले देशों में रह रहे हैं, लेकिन उन्हें मॉडर्नाइजेशन और स्टेट को समझने में कठिनाई हो रही है.&nbsp;</p>

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