कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार (21 जुलाई, 2025) को पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता वाले बयानों को लेकर सदन में विस्तृत बहस की मांग की है और इसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा है.
सोमवार से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने नियम 267 के तहत चर्चा की मांग की. खरगे ने कहा कि उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति पर नियमों के मुताबिक सदन में नोटिस दिया है.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बयान का दिया हवाला
खरगे ने जोर देकर कहा कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकी आज तक न तो पकड़े गए हैं और न ही मारे गए हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने खुद पहलगाम में खुफिया और सुरक्षा चूक होने की बात स्वीकार की थी.
राज्यसभा में नेता विपक्ष ने कहा कि देश में एकता बनाए रखने और सेना को मजबूती देने के लिए विपक्ष ने बिना किसी शर्त के सरकार को समर्थन दिया था. ऐसे में सरकार को पूरी स्थिति के बारे में बताना चाहिए. खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, उप सेना प्रमुख और एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी की ओर से किए गए खुलासों पर भी मोदी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा.
दो दिन इन मुद्दों पर हो बहस
इसके अलावा, उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से 24 बार दिए गए उन बयानों पर भी सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा, जिनमें ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने व्यापार न करने की धमकी देकर भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम करवाया. उन्होंने इसे देश के लिए अपमानजनक करार दिया.
खरगे ने इस बात का भी उल्लेख किया कि दो महीने पहले भी विपक्ष ने विशेष सत्र की मांग की थी. उन्होंने कहा कि अब हम चाहते हैं कि पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, सुरक्षा चूकों और विदेश नीति पर दो दिन की बहस होनी चाहिए, प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए.
राहुल ने उठाया संसद में भेदभाव का मुद्दा
वहीं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने संसद में विपक्ष के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाया. संसद भवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सदन में किसी मुद्दे पर रक्षा मंत्री और सत्ताधारी दल के लोगों को बोलने दिया जाता है, लेकिन अगर विपक्ष का कोई नेता कुछ कहना चाहता है तो उसे अनुमति नहीं मिलती.
उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष का नेता होने के नाते उन्हें बोलने का अधिकार है, लेकिन उनको बोलने नहीं दिया जा रहा है. संसदीय परंपरा के अनुसार, अगर सरकार के पक्ष से मंत्री कुछ बोले तो विपक्ष को भी अपनी बात कहने का अवसर दिया जाना चाहिए. हम बोलना चाहते थे, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई.
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