<p style="text-align: justify;">सैंकड़ों करोड़ रुपये के बहुचर्चित अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार आरोपी लक्षय विज को राउज एवेन्यू कोर्ट से नियमित जमानत मिल गई है. अदालत ने ईडी की कड़ी आपत्तियों और गंभीर आरोपों के बावजूद पांच महीने से जेल में बंद विज को राहत दी है. स्पेशल जज गौरव राव की अदालत ने आरोपी को 5 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही विज को अपना पासपोर्ट अदालत में जमा कराने का भी निर्देश दिया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>5 महीने की हिरासत के बाद मिली जमानत </strong><br />आरोपी लक्षय विज को जुलाई 2024 में गिरफ्तार किया गया था. पांच महीने से अधिक समय से वह न्यायिक हिरासत में थे. हालांकि अदालत ने इस दौरान उनकी मेडिकल कंडीशन, लंबी हिरासत और ट्रायल शुरू न होने जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए जमानत देने का फैसला सुनाया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ईडी की दलीलें नहीं बनीं असरदार</strong><br />प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोर्ट में दलील दी कि आरोपी लक्षय विज का नेटवर्क वैश्विक स्तर पर फैला है और वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है. एजेंसी ने यह भी कहा कि आरोपी फर्जी पहचान पर दर्जनों बैंक खाते खोलकर मनी लॉन्ड्रिंग की स्कीम का मास्टरमाइंड है. ईडी के अनुसार आरोपी विज द्वारा संचालित नेटवर्क ने लिसा रोथ नाम की अमेरिकी नागरिक को साइबर ठगी का शिकार बनाया और उसके करोड़ रुपये की हेराफेरी की.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>लिसा रोथ स्कैम, हाई टेक फ्रॉड की इनसाइड स्टोरी</strong><br />यह मामला एक हाई-टेक साइबर क्राइम का उदाहरण है जिसमें पीड़ित अमेरिकी लिसा रोथ को निशाना बनाया गया. ईडी के मुताबिक सबसे पहले लिसा के लैपटॉप को हैक किया गया और उनकी स्क्रीन पर एक फर्जी अलर्ट नंबर फ्लैश हुआ. जब लिसा ने उस नंबर पर कॉल किया तो दूसरी तरफ से जवाब देने वाले ने खुद को माइक्रोसॉफ्ट का अधिकारी बताया. लिसा को यकीन दिलाया गया कि उनका इन्वेस्टमेंट अकाउंट सुरक्षित नहीं है. उन्हें सलाह दी गई कि वह अपना पैसा एक "सुरक्षित" अकाउंट में ट्रांसफर कर दें. लिसा ने आरोपी के बताए अनुसार ओकेकॉइन क्रिप्टो अकाउंट में पैसे भेजे. कुछ हफ्तों बाद जब उन्होंने अकाउंट चेक किया तो सारा पैसा गायब था. ईडी ने आरोप लगाया है कि यही रकम कई फर्जी खातों में ट्रांसफर की गई और भारत समेत अन्य देशों में हवाला नेटवर्क के जरिए घुमाई गई.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>विज पर पहले भी लग चुके हैं कई आरोप</strong><br />यह पहली बार नहीं है जब लक्ष्य विज कानूनी शिकंजे में आए हैं. अगस्त और दिसंबर 2024 में उनकी जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी थीं. फरवरी 2025 में उन्होंने हाई कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेकर ट्रायल कोर्ट का रुख किया और आखिरकार उन्हें राहत मिली.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कोर्ट ने किन शर्तों पर दी जमानत ?</strong><br />पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराना अनिवार्य है. देश छोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध. जांच में सहयोग करना होगा. किसी भी गवाह से संपर्क नहीं कर सकते. कोर्ट के बुलावे पर हर पेशी में उपस्थित रहना अनिवार्य,</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>500 करोड़ रुपये का खेल कैसे हुआ ?</strong><br />प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक एक साल के अंदर लगभग 500 करोड़ रुपये डमी कंपनियों और फर्जी खातों में ट्रांसफर किए गए. इन खातों को विज और उसके सहयोगियों ने ही ऑपरेट किया. हवाला नेटवर्क और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन के जरिए पैसे को कई परतों में घुमाया गया, ताकि असली सोर्स छुपाया जा सके.</p>
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500 करोड़ के हाई प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी लक्ष्य विज को जमानत, जानें क्या है पूरा

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