जब भारत को फिर से ‘सोने की चिड़िया’ बनाने के लिए मनमोहन सिंह ने गिरवी रख दिया था सोना

Must Read

Manmohan Singh Death: देश के आर्थिक उदारीकरण के जनक माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को निधन हो गया. उन्होंने 92 साल की उम्र में एम्स में आखिरी सांस ली. 1991 का वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक टर्निंग पॉइंट के रूप में जाना जाता है. यह वह समय था जब देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, और तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने साहसिक निर्णय लेकर भारत को बचाने के लिए RBI का 44 टन सोना गिरवी रखकर इतिहास रच दिया था.
दरअसल, 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 1.2 बिलियन डॉलर तक सिमट गया था. यह भंडार केवल तीन सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त था. खाड़ी युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई, जिससे भारत पर आयात का दबाव और बढ़ गया. भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भारी कर्ज ले रखा था, जिसे चुकाने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची थी.
सोने को गिरवी रखने का निर्णय1980 के दशक की नीतियों ने भारत को कर्ज और उच्च राजकोषीय घाटे में धकेल दिया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में साहसिक निर्णय लिया. भारत ने 67 टन सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरवी रखा. यह सोना स्विट्ज़रलैंड और इंग्लैंड के बैंक ऑफ इंग्लैंड को भेजा गया.
देश के लिए यह फैसला क्यों था महत्वपूर्ण गिरवी रखने का उद्देश्य उनकी बहुत बड़ी सोच थी.इससे भारत को 600 मिलियन डॉलर का ऋण मिला. इस धन का उपयोग विदेशी कर्ज चुकाने और आयात को बनाए रखने के लिए किया गया. सोने को गिरवी रखना एक अपमानजनक स्थिति मानी गई, क्योंकि सोना भारत की आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक था. इस निर्णय से जनता और राजनेताओं के बीच आलोचना का भी सामना करना पड़ा.हालांकि यह एक कठिन कदम था, लेकिन इससे भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद मिली.
आर्थिक सुधारों की शुरुआतसोने को गिरवी रखने के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए 1991 के आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू की. भारतीय बाजारों को वैश्विक निवेश और प्रतिस्पर्धा के लिए खोला गया. लाइसेंस राज को समाप्त किया गया. विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में प्रवेश करने की अनुमति दी गई.आयात-निर्यात नियमों को सरल बनाया गया. जिसके बाद भारत की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि देखी गई.भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जाने लगा.
बता दें कि डॉ.मनमोहन सिंह का योगदान का यह निर्णय उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में स्थापित करता है. सोने को गिरवी रखने का कदम भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था. यह एक कड़वा और साहसिक निर्णय था जिसने देश की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होने से बचाया,मनमोहन सिंह के  इस  निर्णय के कारण ही भारत आज एक मजबूत और स्थिर आर्थिक शक्ति बन सका है.

ये भी पढ़ें: Manmohan Singh Death Live: ‘इतिहास आपका न्याय विनम्रता से करेगा’, मनमोहन सिंह को याद कर भावुक हुए मल्लिकार्जुन खरगे

india, india news, india news, latest india news, news today, india news today, latest news today, latest india news, latest news hindi, hindi news, oxbig hindi, oxbig news today, oxbig hindi news, oxbig hindi

ENGLISH NEWS

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -