President Rule In Manipur: हिंसाग्रस्त मणिपुर में एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के चार दिन बाद, गुरुवार (13 फरवरी 2025) को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर और राज्य की परिस्थितियों की जानकारी के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया है. 2022 में जब यहां विधानसभा के चुनाव हुए थे तो बीजेपी को बहुमत मिला था. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.
मंत्री समेत कई विधायक सरकार से थे नाराज
एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उसी दिन उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी. उनकी ये मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई थी जब राज्य में बीजेपी के नेता ही उनकी खिलाफत कर रहे थे. यहां तक पिछले करीब डेढ़ साल से उनकी बुलाई बैठकों में राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वाई खेमचंद और कुकी समुदाय के बीजेपी विधायकों ने शामिल होने से इनकार कर दिया था. ये सभी नेता राज्य के बजाय केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क साधे हुए थे.
नागा पीपुल्स फ्रंट के विधायक भी पहुंचे थे दिल्ली
बीजेपी के भीतर बात इतनी बिगड़ चुकी थी कि करीब 10 अन्य विधायक ने भी विपक्ष में बैठने का संकल्प ले लिया था. इस बात की जानकारी उस समय के सीएम एन बीरेन सिंह और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को भी थी. एन बीरेन सिंह जब इस्तीफा देने के लिए राजभवन गए थे तो उनके साथ 20 से भी कम विधायक गए थे. हाल ही में बीजेपी के कुछ मंत्रियों और नागा पीपुल्स फ्रंट (बीजेपी की सहयोगी) के विधायकों ने दिल्ली में जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. 10 फरवरी से मणिपुर में विधानसभा का सत्र शुरु होने वाला था और कांग्रेस एन बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में थी.
नहीं तय हो पाया नया सीएम
मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने एन बीरेन सिंह को सीएम पद से हटाने की मांग की थी, जिसमें दो मंत्री सहित 7 बीजेपी के विधायक थे. मणिपुर के विधायकों में राज्य के आलाकमान को लेकर इतने मतभेद थे कि बीजेपी के 19 विधायकों ने एन बीरेन सिंह को हटाने के लिए पीएम मोदी को चिट्ठी तक लिख डाली. एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी कह रही थी कि राज्य में संवैधानिक संकट नहीं है और केंद्रीय नेतृत्व विधायकों की मदद से मुद्दों को सुलझा लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इस महीने की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत को दिल्ली बुलाए जाने के बाद मणिपुर में सत्ता परिवर्तन के संकेत मिलने लगे थे. बीजेपी के पूर्वोत्तर प्रभारी और सांसद संबित पात्रा पिछले चार दिनों से लगातार पार्टी के विधायकों और राज्यपाल अजय भल्ला से कई बार मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन नये सीएम के नाम तय नहीं हो पा रहा था.
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