महासंकट में महायुति: शिंदे नहीं बन पाए CM तो देवेंद्र फडणवीस के शपथ समारोह को लगा गए ‘ग्रहण’  

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सरकार चाहे गठबंधन की हो या बहुमत वाली, जब किसी भी राज्‍य में शपथ ग्रहण समारोह होता है तो कोशिश यह रहती है कि जनता और विरोधियों को एक मजबूत संदेश जाए कि इस शपथ ग्रहण के बाद जो सरकार आकार लेगी, वो मजबूत होगी. 05 दिसंबर 2024 को महाराष्‍ट्र में भी एक शपथ ग्रहण हुआ. बीजेपी+एनसीपी (अजित पवार)+शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के गठबंधन वाली महायुति के तीन बड़े नेता- देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने गुरुवार (05 दिसंबर 2024) को शपथ ली. देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्‍ट्र के सीएम बने, जबकि एकनाथ शिंदे जो कि चुनाव से पहले सीएम थे, वो डिप्‍टी सीएम बने और अजित पवार तो डिप्‍टी सीएम ही थे तो उन्‍होंने डिप्‍टी सीएम पद की शपथ ली. 
23 नवंबर 2024 को महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए, जिसमें महायुति को प्रचंड बहुमत मिला, लेकिन कौन बनेगा मुख्‍यमंत्री का ऐसा महामुकाबला चला कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच तलवारें खिंच गईं. 12 दिन तक चली सियासी सौदेबाजी के बाद बीजेपी ने शिंदे से दो टूक कहा- सीएम तो हमारा होगा. शिंदे ने पलटकर एक और दांव चला, उन्‍होंने बीजेपी से कहा- ज्‍यादा तो हमको 6 महीने का सीएम बना दो. बीजेपी ने जवाब दिया- नो. बात नहीं बनी, बीजेपी ने विधायक दल की बैठक बुलाई और देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद के लिए नॉमिनेट कर दिया. शिंदे को जब लगा कि सीएम पद तो अब गया तब उन्‍होंने गृह मंत्रालय के लिए पूरा जोर लगाया. बीजेपी ने इस पर शिंदे को इस बार कहा डाला- नो.          
बीजेपी ने स्‍पष्‍ट किया कि महायुति में उसके पास 132 सीटें हैं और शिंदे के पास 57. ऐसे में बड़ा भाई यानि बिग बॉस तो बीजेपी ही रहेगी. फडणवीस और शिंदे के बीच चली इस फाइट के बीच अजित पवार ने भी अपनी डिमांड लिस्‍ट धीरे से लंबी कर डाली. उनके पास भी 41 सीटों का दम है. कुल मिलाकर तीनों दलों में डिमांड का दौर ऐसा चला कि हल नहीं निकल सका. वैसे शिंदे इस विवाद के दौरान लगातार कहते रहे कि जो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह कह देंगे वही फाइनल होगा, लेकिन डिमांड से समझौता करते हुए कोई नजर नहीं आया. नतीजा यह रहा कि महाराष्‍ट्र में महायुति की जिस प्रचंड जीत के बाद धूमधाम से शपथ ग्रहण होना चाहिए था, उस शपथ ग्रहण में महायुति के भीतर दौड़ रहा महासंकट का अंडरकरंट दिखा. उम्‍मीद थी कि पूरा का महामंत्रिमंडल शपथ लेगा, लेकिन सिर्फ तीन शपथ हुईं- एक- फडणवीस, जिन्‍होंने सीएम पद की शपथ, दूसरे- एकनाथ शिंदे, जिन्‍होंने डिप्‍टी सीएम की शपथ ली और तीसरे- अजित पवार, जिन्‍होंने डिप्‍टी सीएम पद की शपथ ली. महाराष्‍ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा में महायुति को 230 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत मिला, लेकिन शपथ समारोह देखकर ऐसा मानो कोई हारा दल शपथ के कार्यक्रम में शामिल होने आया है. देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह के रंग में शिंदे ने ऐसा भंग डाला कि अब बीजेपी को यह बात लगभग साफ हो गई होगी कि महाराष्‍ट्र में महायुति की सरकार चलाना उसके लिए बेहद कठिन चुनौती होगा:                           
1- एकनाथ शिंदे का दावा है कि महायुति को प्रचंड जीत उनके सीएम रहते हुए मिली, इसलिए मुख्‍यमंत्री पद उनका दावा सबसे पहले है. शिंदे अड़े रहे और बीजेपी भी, मगर सीएम का पद बीजेपी के खाते में गया. दूसरी तरफ शिंदे ने कड़े तेवर नहीं छोड़े हैं, उनका स्‍पष्‍ट मानना है कि सरकार में वह रहेंगे तो पूरी ठसक के साथ, वह खैरात में मंत्रालय नहीं लेंगे. सीएम पद के बाद उन्‍होंने गृह मंत्रालय पर ऐसा दावा ठोका डाला कि बीजेपी के सीएम यानि देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण का पूरा रंग ही उड़ गया.          
2- अब भले ही बीजेपी बाद में मेल-मुलाकात करके हल निकाल ले या मामला हल हो भी न, लेकिन शिंदे ने क्लियर मैसेज दे दिया कि वह झुकने वाले नहीं हैं, उनका तर्क स्‍पष्‍ट है उन्‍हें सीएम पद छोड़ने के बदले में गृह मंत्रालय चाहिए.     
3- बीजेपी दूसरी तरफ स्‍पष्‍ट बोल चुकी है गृह मंत्रालय नहीं देंगे, महायुति से एकनाथ शिंदे के अलग होने की हालत में अजित पवार के समर्थन से सरकार बची रह सकती है, लेकिन क्‍या गारंटी है कि बाद में जब बीजेपी सिर्फ अजित पवार पर निर्भर होगी तब वह शिंदे की तरह मोल-तोल की लिस्‍ट लंबी नहीं करेंगे.    
4- विकल्‍प बीजेपी के पास कुछ खास नहीं हैं तो ऑप्‍शन शिंदे के पास भी कम हैं. शिवसेना से तोड़कर शिवसेना बनाने शिंदे अगर सत्‍ता से दूर रहे तो पार्टी बचाना मुश्किल होगा, लेकिन जब गठबंधन में मोल-भाव होता है तब अपनी कमजोरी छिपानी पड़ती है, शिंदे अपनी कमजोरी को छिपाकर मजबूत तरीके से अपनी डिमांड करने में अब तक काफी हद तक सफल रहे हैं. जिस तरह से उनकी जिद के चलते देवेंद्र फडणवीस का शपथ ग्रहण समारोह को महायुति की अति महात्‍वाकांक्षाओं का ग्रहण लगा उससे स्‍पष्‍ट है कि बीजेपी को अब बेहद सोच समझकर शिंदे के साथ डील करना होगा.      
5- देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार सीएम जरूर बने हैं, लेकिन एकनाथ शिंदे के सरकार में रहते हुए उनके लिए महायुति की सरकार महाराष्‍ट्र में चलाना उनके लिए आसान नहीं होगा. गुरुवार के फीके शपथ ग्रहण के बाद महाराष्‍ट्र की सियासत में असली उबाल आना बाकी है. सीएम, डिप्‍टी सीएम पद की तस्‍वीर तो जैसे तैसे साफ हो गई है, लेकिन मंत्रिमंडल का महासंग्राम अभी बाकी है. याद रहे कि शिंदे हों या अजित पवार यहां सारा खेल पावर का है, पावर यानि सत्‍ता में भागीदारी ही सियासी वफादरी तय करती है, ऐसे में देखना होगा कि क्‍या बीजेपी उसी दमखम के साथ अजित पवार और एकनाथ शिंदे को हैंडल कर पाएगी जैसे उसने सीएम पद का चयन करते वक्‍त किया या मंत्रिमंडल बंटवारे में झुकने की बारी अब उसकी है?
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