Global Conflicts: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (16 मार्च) अमेरिकन AI रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन को दिए गए इंटरव्यू में वैश्विक संघर्षों और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन की भूमिका पर अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि दुनिया में बढ़ते टकराव के पीछे एक बड़ी वजह ये है कि जो इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन कभी बेहद प्रभावशाली हुआ करते थे, वे अब लगभग अप्रासंगिक हो चुके हैं. उन्होंने यूनाइटेड नेशन जैसे संस्थानों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये संगठन अपनी मूल जिम्मेदारियों को निभाने में विफल साबित हो रहे हैं और उनमें कोई खास सुधार नहीं हो रहा है.
पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट संकट का जिक्र करते हुए कहा कि आज की दुनिया में समाधान खोजने के बजाय कई संस्थाएं अपनी मूल भूमिका से भटक गई हैं. ऐसे में ये जरूरी हो गया है कि इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन में अहम सुधार किया जाए ताकि वे आज के समय की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बन सकें.
अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवहेलना से बढ़ रही वैश्विक अशांति- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ग्लोबल वॉर को रोकने का एकमात्र तरीका ये है कि दुनिया विस्तारवाद की नीतियों को त्यागकर विकास-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ देश और नेता अंतरराष्ट्रीय नियमों का अपमान करते हुए अपनी मनमानी कर रहे हैं, जिससे दुनिया में अशांति का माहौल बना हुआ है. उन्होंने कहा कि जब कोई देश वैश्विक कानूनों का पालन नहीं करता और इसके बावजूद उसे रोका नहीं जाता तो इससे अन्य देशों में भी अस्थिरता की स्थिति पैदा होती है.
पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी राष्ट्र को केवल अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संघर्ष की नीति अपनाने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी देशों को अपने मतभेदों को भुलाकर सहयोग की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए ताकि वैश्विक स्थिरता बनी रह सके.
कुछ देश नियम तोड़कर दुनिया में अशांति फैला रहे- PM
प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कहा कि वर्तमान युग में हर देश एक-दूसरे पर निर्भर है और कोई भी देश अलग-थलग रहकर प्रगति नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब भी वे जाते हैं तो वहां मौजूद देशों की सबसे बड़ी चिंता यही होती है कि वैश्विक स्तर पर शांति कैसे स्थापित की जाए.
उन्होंने आशा जाहिर की कि जल्द ही दुनिया में शांति स्थापित होगी और सभी देश आपसी सहयोग से आगे बढ़ेंगे. उन्होंने आखिर में कहा कि संघर्ष और युद्ध से किसी को भी फायदा नहीं होता इसलिए सभी देशों को मिलकर सहयोग और विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
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