केंद्र सरकार ने लद्दाख के लोगों को दिया बड़ा तोहफा, स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण

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Ladakh News: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख लंबे समय से सुविधाओं की कमी और स्थानीय मुद्दों को लेकर चर्चा में रहा है. सोनम वांगचुक ने इन समस्याओं के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए. यहां तक कि भूख हड़ताल का सहारा भी लिया. हालांकि, अब, केंद्र सरकार ने लद्दाख के लोगों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद लद्दाख में स्थानीय लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में 95 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है. इसके साथ ही, पहाड़ी परिषदों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण का प्रस्ताव भी रखा गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद और लेह एपेक्स बॉडी (LB) के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग ने दी. इस बैठक में भूमि अधिकारों और उनसे जुड़ी चिंताओं पर भी सहमति बनी है.
लद्दाख का लोक सेवा आयोग: क्या संभव है?थुपस्तान छेवांग, जो इस वार्ता का हिस्सा थे. उन्होंने बताया कि लद्दाख के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग बनाना संवैधानिक रूप से संभव नहीं है. इसका कारण यह है कि लद्दाख के पास अपनी विधानसभा नहीं है.  छेवांग ने कहा,“सरकार ने आश्वासन दिया है कि भर्तियां तुरंत शुरू होंगी. हमने यह भी कहा कि गजटेड पदों के लिए भर्तियां जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग (जेकेपीएससी) के माध्यम से होनी चाहिए, न कि दानिक्स (दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा) के जरिए.” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि डॉक्टर और इंजीनियर जैसे गजटेड पदों के लिए भर्ती जल्द शुरू की जाएगी.
लद्दाख के लोगों की प्रमुख मांगें5 अगस्त 2019 को, जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया, तो इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया. जहां जम्मू-कश्मीर को अपनी विधानसभा दी गई, वहीं लद्दाख को इस सुविधा से वंचित रखा गया. शुरुआत में लद्दाख के लोग इससे संतुष्ट थे, लेकिन 2020 में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. पिछले कुछ वर्षों में, लद्दाख के लोग चार प्रमुख मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जो निम्नलिखित है.

लद्दाख को राज्य का दर्जा
संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कर आदिवासी क्षेत्र का दर्जा.
स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों में आरक्षण.
लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग संसदीय सीटें.

सोनम वांगचुक की मांगेंसोनम वांगचुक ने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी, जिससे यहां के लोगों को आदिवासी दर्जा मिल सके. अपनी मांगों को लेकर उन्होंने भूख हड़ताल तक की. इसके अलावा, उन्होंने स्थानीय रोजगार और संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिए कई अन्य मांगें भी उठाईं. केंद्र सरकार ने इस दिशा में मदद का आश्वासन दिया था.
सरकार का बड़ा कदमइन सभी प्रयासों के तहत, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख के लिए सरकारी नौकरियों में 95% आरक्षण की घोषणा की है, जो एक ऐतिहासिक कदम है. यह निर्णय लद्दाख के लोगों के लिए एक बड़ी राहत और उनके लंबे संघर्ष की आंशिक जीत मानी जा सकती है.
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