Muslim Reservation Quota in Karnataka: कर्नाटक सरकार के ताजा फैसले से एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है. कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अब आवास योजनाओं में भी मुस्लिम समुदाय को 5 फीसदी अधिक आरक्षण देने का फैसला किया है. कांग्रेस सरकार के इस कदम को भाजपा ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति बताकर हमला किया है.
मौजूदा समय में कर्नाटक की शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आवास विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं में अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित है. नए प्रस्ताव के मुताबिक, इस 10 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है. कर्नाटक कैबिनेट से इस प्रस्ताव पर मुहर लग चुकी है. आने वाले दिनों में राज्य भर की सभी सरकारी आवास योजनाओं पर इस फैसले का असर देखने को मिलेगा.
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने दिया बयान
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने सरकार के फैसले को राज्य के लिए जरूरी बताया है. शिवकुमार ने कहा कि यह फैसला राज्य में जनसंख्या अनुपात को ध्यान में रखते हुए किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कई सारे प्रोजेक्ट खाली पड़े हैं, इन सभी को भरना जरूरी है. इसके साथ कर्नाटक राज्य में मुस्लिम आबादी के अनुपात को देखते हुए आवास योजना को 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी किया गया है.
राज्य सरकार के फैसले पर भाजपा ने उठाए सवाल
वहीं, कर्नाटक सरकार के फैसले पर भाजपा ने सवाल उठाते हुए इसे मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति करार दिया है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक सरकार लगातार मुस्लिम तुष्टिकरण की कोशिश कर रही है और हिंदू समुदाय के अधिकारों को छीनकर वोट बैंक की राजनीति के चलते मुसलमानों को दे रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक सरकार अल्पसंख्यकों का कोटा बढ़ाने की बात करती है लेकिन अल्पसंख्यकों में सीधे तौर पर सबसे बड़ी हिस्सेदारी मुसलमान की है तो अल्पसंख्यक की बात कर सीधे तौर पर कर्नाटक सरकार मुसलमान वोटो को साधने के लिए इस तरीके के फैसले ले रही है.
सरकार ने सरकारी टेंडरों में भी मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को दिया था 4 प्रतिशत आरक्षण
इससे पहले, इसी साल मार्च महीने में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को सरकारी टेंडर में 4 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था. कर्नाटक सरकार के उसे फैसले पर भी जमकर राजनीति हुई थी और बीजेपी ने उस दौरान भी उस फैसले पर सवाल खड़े किए थे.
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