Karnataka Deputy CM In Namma Raste: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने गुरुवार (20 फरवरी,2025) को कहा कि बेंगलुरु का कायापलट रातों-रात संभव नहीं है, भले ही भगवान खुद आ जाएं. उन्होंने कहा कि शहर के सतत और व्यवस्थित विकास के लिए लॉन्ग टर्म अर्बन प्लानिंग की आवश्यकता है.
बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के केंद्रीय कार्यालय में ‘नम्मा रास्ते – डिजाइन कार्यशाला’ और ट्रैफिक प्रयोगशाला के शुभारंभ के दौरान शिवकुमार ने कहा, “बेंगलुरु को रातों-रात बदलना असंभव है, लेकिन यदि हम उचित योजनाएं बनाएं और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करें, तो निश्चित रूप से परिवर्तन संभव है.”
उन्होंने आगे कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे में एकरूपता, गुणवत्ता और अनुशासन बनाए रखना जरूरी है. सरकार का लक्ष्य है कि सभी बस स्टॉप, मेट्रो खंभों और ट्रैफिक जंक्शनों के लिए स्टैंडर्ड डिजाइन तैयार किए जाएं, ताकि पूरे शहर में समानता बनी रहे.
‘नम्मा रास्ते-2025’ के उद्देश्य20 से 22 फरवरी के बीच आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में परिवहन प्रणाली, ट्रैफ़िक प्रबंधन और शहरी नियोजन पर चर्चा होगी. यह पहल सड़कों, फुटपाथों और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए प्रभावी समाधान खोजने में मदद करेगी. शिवकुमार ने शहर में ओवरहेड केबल हटाने और उन्हें भूमिगत नेटवर्क में बदलने का सख्त निर्देश दिया. “हमने केबल ऑपरेटरों को पर्याप्त समय दिया. अब हमने सभी ओवरहेड केबल काटने का आदेश जारी कर दिया है. जब ये हटा दिए जाएंगे, तो समाधान खुद मिल जाएगा.”
हेब्बल-सिल्क बोर्ड सुरंग परियोजना की चुनौतियां18 किलोमीटर लंबी सुरंग सड़क परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण, वित्तीय और तकनीकी चुनौतियां बनी हुई हैं. अभी तक इस परियोजना के लिए निविदाएँ जारी नहीं की गई हैं.डबल-डेकर मेट्रो प्रणाली कुछ नए गलियारों में लागू की गई है, लेकिन मौजूदा मेट्रो रूट में यह संभव नहीं था. 1,700 किलोमीटर लंबी व्हाइट-टॉपिंग सड़कें बनाई जा रही हैं, जो अगले 30 वर्षों तक चलने की उम्मीद है. स्टॉर्मवॉटर नालों और एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजनाओं के पास नई सड़कें बनाई जाएंगी.
‘नम्मा रास्ते’ पुस्तिकाशिवकुमार ने ‘नम्मा रास्ते’ पुस्तिका की तुलना भारतीय संविधान से की और कहा कि यह बेंगलुरु के दीर्घकालिक विकास का रोडमैप बनेगी. उन्होंने कहा कि छात्रों, युवाओं और विभिन्न संगठनों के सुझावों को एक वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा, ताकि व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हो.
कन्नड़ भाषा को लेकर चिंताबेंगलुरु में कन्नड़ भाषा के घटते उपयोग पर प्रतिक्रिया देते हुए, शिवकुमार ने कहा कि “कन्नड़ हमारी पहचान, हमारी सांस और हमारा जीवन है.” उन्होंने साइनेज (Signage) के लिए 60% कन्नड़ और 40% अंग्रेजी का अनुपात अनिवार्य करने की नीति का समर्थन किया. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जो लोग इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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