Justice Abhay Oka On Supreme Court: जस्टिस अभय ओका ने सुप्रीम कोर्ट में सुधार करने की मांग की है. उनका कहना है सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस केंद्रित है और इसमें बदलाव की जरूरत है. जस्टिस अभय ओका का आज शुक्रवार (23 मई, 2025) को एक जज के रूप में आखिरी दिन था. अपने विदाई भाषण में उन्होंने ये भी इशारा किया कि ये बदलाव चीफ जस्टिस बीआर गवई कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित अपने विदाई समारोह में बोलते हुए जस्टिस ओका ने कहा कि हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट की तुलना में ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं. उन्होंने कहा, “हाई कोर्ट समितियों के जरिए काम करते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस पर केंद्रित है. इसमें बदलाव की जरूरत है. आप नए चीफ जस्टिस के साथ यह बदलाव देखेंगे.”
‘चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने पारदर्शिता का रास्ता दिखाया’
उन्होंने आगे कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना (जो 13 मई को सेवानिवृत्त हुए) ने हमें पारदर्शिता के रास्ते पर आगे बढ़ाया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हर एक जज को विश्वास में लेकर निर्णय लिए. जस्टिस गवई के खून में लोकतांत्रिक मूल्य हैं.” जस्टिस ओका ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की अनदेखी की है.
उन्होंने कहा, “हमें ट्रायल कोर्ट और आम आदमी के बारे में भी सोचना चाहिए. हमारी ट्रायल और जिला अदालतों में बहुत सारे मामले लंबित हैं… ट्रायल कोर्ट को कभी भी अधीनस्थ अदालत न कहें. यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है… 20 साल बाद किसी को सजा देना एक मुश्किल काम है.”
अपनी यात्रा को जस्टिस अभय ओका ने इस तरह किया याद
अपनी न्यायिक यात्रा को याद करते हुए जस्टिस ओका ने कहा कि कई लोगों ने उनसे पूछा था कि पद छोड़ने के बाद वह कैसा महसूस कर रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा, “जजों को न्याय करने की आजादी होती है और जब आप जज नहीं होते हैं तो आपको वह आजादी नहीं मिलती. 21 साल और 9 महीने के बाद और तीन संवैधानिक अदालतों के जज होने के बाद, जज का पद जीवन बन जाता है और जीवन जज का पद बन जाता है.”
‘कभी नहीं दिया असहमति वाला फैसला’
उन्होंने कहा, “जब कोई सफल वकील जज बनता है, तो वे कहते हैं कि उसे त्याग करना पड़ता है. मैं इसे स्वीकार नहीं करता. जब आप न्यायपालिका में शामिल होते हैं, तो आपको वह इनकम नहीं मिलती, लेकिन आपको जो काम की संतुष्टि मिलती है, उसकी तुलना वकील की इनकम से नहीं की जा सकती. जज के रूप में अपनी लंबी पारी में मैंने कभी भी असहमतिपूर्ण निर्णय नहीं दिया है.”
ये भी पढ़ें: दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वापस ली 7 याचिकाएं, केंद्र से विवाद के चलते पिछली AAP सरकार ने दाखिल किए थे केस
india, india news, india news, latest india news, news today, india news today, latest news today, latest india news, latest news hindi, hindi news, oxbig hindi, oxbig news today, oxbig hindi news, oxbig hindi
ENGLISH NEWS