Waqf Amendment Bill: वक्फ बिल में बदलावों को संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने सोमवार को मंजूरी दे दी. जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि इस मीटिंग में सभी 44 संशोधनों पर चर्चा की गई. इनमें एनडीए सांसदों के 14 सुझावों को मंजूरी दी गई. हालांकि इस बैठक में विपक्षी सांसदों की ओर से रखे गए सुझावों को नकार दिया गया. वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी बजट सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
जेपीसी ने जिन संशोधनों को स्वीकार किया है, उसके तहत विधेयक में मौजूदा कानून के तहत रजिस्टर्ड हर वक्फ संपत्ति के लिए प्रस्तावित अधिनियम के लागू होने से छह महीने की अवधि के भीतर वेबसाइट पर संपत्ति का विवरण घोषित करना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके अलावा अब मुतवल्ली (केयरटेकर) को राज्य में वक्फ ट्रिब्यूनल की संतुष्टि के अधीन अवधि बढ़ाने का अधिकार दिया गया है. साथ ही एक संशोधन में मुस्लिम कानून और न्यायशास्त्र का ज्ञान रखने वाले एक व्यक्ति को ट्रिब्यूनिल में शामिल करने की बात कही गई है.
विपक्षी सांसदों ने विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधनों का प्रस्ताव रखा था और उन्होंने दावा किया था कि जेपीसी की ओर से प्रस्तावित विधेयक मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा. हालांकि विधेयक में मुस्लिम निकायों को कुछ राहत दी गई है, जिसमें विधवाओं और अनाथों समेत अन्य कल्याणकारी उपायों पर निर्णय लेने का अधिकार वक्फ बोर्डों को है, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है.
विपक्षी दल जता सकते हैं विरोध
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त समिति की बैठक में विपक्षी सदस्यों ने एक बार फिर जोरदार विरोध किया और उन पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ‘चोट’ पहुंचाने का आरोप लगाया. सूत्रों ने बताया कि समिति बुधवार को रिपोर्ट स्वीकार करेगी, जिस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और एआईएमआईएम जैसे विपक्षी दलों के सदस्य अपनी असहमति जता सकते हैं.
31 जनवरी से शुरू हो रहा है संसद का बजट सत्र
उन्होंने कहा कि संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है और सत्तारूढ़ एनडीए सत्र के पहले चरण में विधेयक पारित करा सकता है क्योंकि उसके पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत है. संशोधनों में से एक संशोधन यह है कि वक्फ बोर्ड में अब दो के बजाय चार गैर-मुस्लिम सदस्य भी हो सकते हैं. इस पर मुस्लिम समूहों और विपक्षी दलों की ओर से और आपत्ति की जा सकती है.
डीएमके सांसद ने जगदंबिका पाल पर लगाए आरोप
डीएमके सांसद ए राजा ने आरोप लगाया कि कमेटी की कार्यवाही को मजाक बना दिया गया और रिपोर्ट भी तैयार की जा चुकी है. उन्होंने कहा, “अगर इसे संसद की मंजूरी मिल जाती है तो डीएमके और मैं खुद इसे निरस्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.” हालांकि जगदंबिका पाल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कमेटी ने सभी संशोधनों पर लोकतांत्रिक तरीके से विचार किया. उन्होंने कहा कि बहुमत का दृष्टिकोण भारी पड़ा. उन्होंने कहा कि स्वीकृत संशोधन प्रस्तावित कानून को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएंगे.
पाल ने कहा कि सरकार कमेटी द्वारा किए गए बदलावों को स्वीकार करने के लिए बाध्य है. सूत्रों ने बताया कि भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा समर्थित और समिति द्वारा पारित किए गए अन्य संशोधनों में सरकारी संपत्ति के विवाद का सर्वेक्षण संबंधित जिला कलेक्टर से कराए जाने के अधिकार को समाप्त करने का निर्णय शामिल है. इस संशोधन के समर्थन में भाजपा और उसके सहयोगियों के 16 मत पड़े जबकि विरोध में विपक्ष के 10 सदस्य रहे.
कलेक्टर को लेकर मुस्लिमों की मानी मांग
भाजपा सांसद बृजलाल द्वारा प्रस्तावित और स्वीकृत किए गए संशोधन में कहा गया है कि राज्य सरकार कानून के मुताबिक जांच करने के लिए कलेक्टर रैंक से ऊपर के किसी अधिकारी को अधिसूचना के जरिए नामित कर सकती है. कई मुस्लिम निकायों ने कलेक्टर को दिए गए अधिकार पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने तर्क दिया था कि कलेक्टर राजस्व रिकॉर्ड के प्रमुख भी होते हैं, इसलिए उनके द्वारा कोई भी जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती क्योंकि वह अपने कार्यालय के दावे के अनुसार चलेंगे.
विवादित संपत्ति नहीं कर सकेंगे दान
इसके अलावा एक संशोधन किया गया है, जिसके मुताबिक, किसी की विवादित प्रॉपर्टी को वक्फ को नहीं दिया जा सकेगा. वही व्यक्ति वक्फ को प्रॉपर्टी दे सकेगा, जो कम से कम पांच साल तक इस्लाम धर्म का अनुयायी हो. निशिकांत दुबे ने बाद में ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा, “गरीब मुसलमान को हक दिलाने तथा कांग्रेस पार्टी की वोट बैंक की राजनीति के कारण हिन्दू समाज को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश को बेनकाब कर आज संसद की संयुक्त समिति ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया. अब यह कानून बनेगा.”
वक्फ संपत्ति कौन कर कर सकता है घोषित?
सूत्रों ने कहा कि हालांकि संशोधन में यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसी मौजूदा संपत्तियों का नया कानून लागू होने से पहले पंजीकरण होना जरूरी है. विधेयक में कहा गया है कि कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति वक्फ घोषित कर सकता है, जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से समर्पित संपत्तियों को संदर्भित करता है. कमेटी द्वारा पारित एक संशोधन में कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति को यह दिखाना या प्रदर्शित करना चाहिए कि वह पांच साल से धर्म का पालन कर रहा है.
6 महीने के अंदर वेबसाइट पर देनी होगी प्रॉपर्टी की जानकारी
विधेयक में मौजूदा कानून के तहत रजिस्टर्ड प्रत्येक वक्फ के लिए प्रस्तावित कानून के लागू होने से छह महीने के भीतर अपनी वेबसाइट पर संपत्ति का विवरण घोषित करना अनिवार्य कर दिया गया है. सूत्रों ने बताया कि एक और स्वीकृत संशोधन अब ‘मुतवल्ली’ (केयरटेकर) को अवधि बढ़ाने का अधिकार देगा, बशर्ते राज्य में वक्फ ट्रिब्यूनल संतुष्ट हो.
वक्फ ट्रिब्यूनल में अब होंगे तीन सदस्य
सूत्रों ने बताया कि भाजपा सांसद संजय जायसवाल द्वारा प्रस्तावित और समिति द्वारा स्वीकृत संशोधन में मुस्लिम कानून और न्यायशास्त्र की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति को ऐसे न्यायाधिकरणों के सदस्य के रूप में शामिल करने की बात कही गई है.
वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य
इस बिल में पहले प्रावधान था कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर मुस्लिम सदस्य अनिवार्य होंगे. इसमें बदलाव किया गया है. अब पदेन सदस्यों को इससे अलग कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि वक्फ परिषदें, चाहे राज्य स्तर पर हों या अखिल भारतीय स्तर पर, कम से कम दो और संभवतः अधिक सदस्य होंगे जो इस्लाम धर्म से नहीं होंगे.
TMC सांसद का आरोप- संशोधनों पर नहीं हुई चर्चा
जगदंबिका पाल पर निशाना साधते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने दावा किया, “सब कुछ पहले से तय था. हमें कुछ भी कहने की अनुमति नहीं थी. किसी भी नियम और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. हम संशोधनों पर खंडवार चर्चा करना चाहते थे लेकिन हमें इसकी अनुमति नहीं दी गई. अध्यक्ष ने संशोधन पेश किए और फिर हमारी बातों को सुने बिना उन्हें घोषित कर दिया. यह लोकतंत्र के लिए बुरा दिन है.”
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