Maulana Arshad Madani on Bakrid: पूरे देश में बकरीद का त्योहार अगले शनिवार (7 जून, 2025) को मनाया जाना है. बकरीद को ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन की मान्यता का इतिहास यह है कि पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह की राह में सबसे पहले कुर्बानी दी थी. इस्लामिक रवायत के मुताबिक, पैगंबर हजरत इब्राहिम को उनके सपने में अल्लाह की तरफ से संदेश मिला था कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दें, जिसके बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अपनी सबसे प्यारी चीज यानी अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का निर्णय किया और जब हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर कुर्बानी दी और इसके बाद जब अपनी आंखों पट्टी हटाई, तो देखा कि उनके बेटे हजरत इस्माइल की जगह पर एक दुंबा की कुर्बानी हो गई थी. इसी वाकये के बाद से यह परंपरा शुरू हुई कि हर साल बकरीद के मौके पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है.
मौलाना मदनी ने कुरबानी की तस्वीर पोस्ट न करने की दी सलाह
इसी बकरीद से पहले भारत के मुसलमानों के नाम जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने संदेश दिया है. अपने एक संदेश में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस्लाम में कुरबानी का कोई विकल्प नहीं है, यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसकी अदायगी हर सक्षम मुसलमान पर वाजिब है. इसलिए जिस व्यक्ति पर कुरबानी वाजिब है, उसे हर हाल में यह फर्ज अदा करना चाहिए.
उन्होंने कहा, “वर्तमान हालात के मद्देनजर यह जरूरी है कि मुसलमान एहतियात का रवैया अपनाएं. प्रचार-प्रसार और खासतौर पर सोशल मीडिया पर कुरबानी के जानवरों की तस्वीरें आदि साझा करने से बचें.”
मौलाना मदनी ने किसी भी फसाद से बचने को लेकर कही बात
मौलाना मदनी ने यह भी सलाह दी कि मुसलमान कुरबानी करते समय सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें. प्रतिबंधित जानवरों की कुरबानी से बचें और चूंकि धर्म में इसके बदले काले जानवर की कुरबानी भी जायज है, इसलिए किसी भी फसाद से बचने के लिए उसी पर इक्तिफाक (संतोष) करना बेहतर होगा.
उन्होंने यह भी कहा, “अगर किसी जगह शरारती तत्व काले जानवर की कुरबानी से भी रोकते हैं तो समझदार और प्रभावशाली लोगों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को विश्वास में लेकर कुरबानी की जाए. अगर फिर भी खुदा न ख्वास्ता इस धार्मिक फर्ज की अदायगी का कोई रास्ता न निकले तो पास के किसी ऐसे इलाके में कुरबानी कर दी जाए, जहां कोई परेशानी न हो. हालांकि, जहां पर कुरबानी होती आई है और इस समय परेशानी है, वहां कम से कम बकरे की कुरबानी जरूर की जाए और उसकी सूचना प्रशासनिक दफ्तर में दर्ज करा दी जाए ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो.”
किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई की शिकायत थाने में करा दें- मौलाना मदनी
मौलाना मदनी ने देश के मुसलमानों को ईद-उल-अजहा के मौके पर साफ-सफाई का खास ध्यान रखने की सलाह देते हुए कहा कि जानवरों के अवशेष (फुजलात) को सड़कों, गलियों और नालियों में न फेंकें, बल्कि इस तरह से दफन किया जाए ताकि बदबू न फैले. उन्होंने यह भी कहा कि हर मुमकिन कोशिश की जाए कि हमारे किसी अमल से किसी को तकलीफ न पहुंचे. सांप्रदायिक तत्वों की ओर से किसी भी तरह की उकसावे वाली कार्रवाई पर सब्र और संयम का प्रदर्शन करते हुए, मामले की शिकायत स्थानीय थाने में जरूर दर्ज करा दें. उन्होंने कहा कि हमें हरगिज मायूस नहीं होना चाहिए, बल्कि अल्लाह पर पूरा भरोसा रखते हुए हालात का मुकाबला अमन-शांति, प्यार-मुहब्बत और सब्र-सुकून के साथ करना चाहिए.
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