भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष एस सोमनाथ ने गुरुवार (20 मार्च, 2025) को कहा कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र महत्वपूर्ण बदलाव के मुहाने पर है लेकिन आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के वाणिज्यिक अनुप्रयोगों को बढ़ाने की जरूरत है.
सोमनाथ ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में इस बात पर प्रकाश डाला कि यद्यपि भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय प्रगति की है, फिर भी इसका अनुप्रयोग मुख्यतः सरकारी कार्यक्रमों तक ही सीमित रहा है.
इसरो के पूर्व प्रमुख ने कहा, ‘अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग सामाजिक और सरकारी कार्यक्रमों पर केंद्रित रहा है. अब इसे वाणिज्यिक क्षेत्र में लाना और इसका मुद्रीकरण करना महत्वपूर्ण है.’
उन्होंने रेखांकित किया कि भारत में अंतरिक्ष अनुप्रयोगों की पहुंच सीमित है और संभावित बाजार का केवल 10 पर्सेंट ही खोजा जा सका है. सोमनाथ ने कहा, ‘भारत 145 करोड़ लोगों वाला एक विशाल देश है, लेकिन अनुप्रयोग की पहुंच बहुत कम है. हम केवल सीमित क्षेत्र में ही सेवा दे रहे हैं.’
उन्होंने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को व्यवहार्य व्यावसायिक अवसरों में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया और मत्स्य पालन जैसे उदाहरण दिए, जहां उपग्रह डेटा पारंपरिक प्रथाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. सोमनाथ ने यातायात प्रबंधन और रेलवे निगरानी जैसे क्षेत्रों में उपग्रह डेटा की अप्रयुक्त क्षमता पर भी जोर दिया.
इन-स्पेस के अध्यक्ष डॉ. पवन गोयनका ने भी इस विचार को दोहराया और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और अंतिम उपयोगकर्ताओं के बीच की खाई को पाटने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, ‘अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर पहले से ही 440 अरब डॉलर की है और 2040 तक इसके एक हजार अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि, भारत का हिस्सा सिर्फ आठ अरब डॉलर है. हमारा लक्ष्य 2033 तक इसे 44 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, लेकिन मांग बढ़ाए बिना यह संभव नहीं हो सकता.’
गोयनका ने अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला, जिसमें 4,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन और रक्षा मंत्रालय द्वारा अंतरिक्ष आधारित निगरानी के लिए 25,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शामिल हैं. उन्होंने अंतरिक्ष स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के उद्यम पूंजी कोष को मंजूरी देने की भी घोषणा की. सोमनाथ और गोयनका दोनों ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और स्टार्टअप के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया.
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