साल 2030 तक के लिए ‘कवच’ इंस्टॉल करने की कार्य योजना तैयार, जानें कैसे काम करता है ये सिस्टम?

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<p style="text-align: justify;">रेलवे ने अपने मिशन सिग्नलिंग को लेकर तेज़ी से टेंडर देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस क्रम में सुरक्षा प्रणाली कवच पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है. रेलवे की ओर से दिल्ली-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई सेक्शन और ऑटोमैटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन के कुल 9090 किलोमीटर व 5645 किलोमीटर और अन्य सेक्शनों के ट्रैक साइड कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया है जो कि नवम्बर महीने में खुलेगा.</p>
<p style="text-align: justify;">कवच प्रणाली को पूरे देश के रेल ट्रैक पर इंस्टॉल किया जाना है पर ये काम बेहद बड़ा है. ऐसे में रेलवे ने इस काम के लिए अगले छः साल की कार्य योजना बना ली है. यानी ये तय हो गया है कि प्रियोरिटी सेक्शन कौन कौन से हैं और कहाँ सुरक्षा प्रणाली कवच पहले इन्स्टॉल करना है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ट्रैक साइड पर हो रहे कामों का लेखा जोखा&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">1. &nbsp;कुल स्वीकृत कार्यः 36,000 किलोमीटर&nbsp;<br />2. &nbsp;अंब्रेला कार्यो के अन्तर्गत स्वीकृत वर्ष 2024-25 : &nbsp;30,000 किलोमीटर&nbsp;<br />3. कार्य किया गयाः 1,548 किलोमीटर 4. &nbsp;कार्य प्रगति पर : 3,000 किलोमीटर&nbsp;<br />5. टेंडर आमंत्रितः 14,735 मार्ग किलोमीटर&nbsp;<br />6. वर्ष 2025-26 में प्रस्तावित टेंडरः 17,000 किलोमीटर 7. वर्ष 2026-27, 2027-28 में प्रस्तावित टेंडरः 30,000 किलोमीटर</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कवच प्रणाली का विकास&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">फरवरी 2012 में, काकोडकर समिति ने डिजिटल रेडियो आधारित सिगनलिंग प्रणाली स्थापित करने की अनुशंसा की और भारतीय रेलवे पर इस पर कार्य प्रारम्भ किया गया. इस प्रणाली को अपग्रेड कर टीसीएस के रूप में विकसित किया गया. टीसीएएस को अब &ldquo;कवच&ldquo; के रूप में विकसित किया जा रहा है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">इस प्रणाली को वर्ष 2014-15 में दक्षिण मध्य रेलवे पर 250 किलोमीटर रेल मार्ग में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित किया गया तथा 2015-16 में यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण किया गया. इसके उपरांत कवच को उन्नत बनाने के लिए कई कार्य किये गये तथा वर्ष 2017-18 में कवच के विशिष्ट वर्जन 3.2 को अंतिम रूप प्रदान किया गया तथा 2018-19 में प्रमाणीकरण के आधार पर आरडीएसओ की ओर से तीन विक्रेताओं को मंजूरी दी गई.जुलाई 2020 में &ldquo;कवच&ldquo; को राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली घोषित किया गया . &nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इस समय लागू है कवच का वर्ज़न- &nbsp;कवच 4.0&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">मार्च 2022 तक कवच प्रणाली का विस्तार करते हुए 1200 किलोमीटर पर स्थापित किया किया तथा इसके उपयोगिता को देखते हुये कवच वर्जन 4.0 के विकास के लिए कदम उठाया गया और 16.07.24 को आरडीएसओ द्वारा कवच 4.0 विनिर्देश को मंजूरी दी गई. स्वदेशी तकनीक से निर्मित कवच प्रणाली 10 वर्ष की अल्प अवधि में विकसित की गई है. इसी वर्ष सितंबर 2024 में कोटा और सवाई माधोपुर के बीच 108 किलोमीटर रेलखण्ड में कवच 4.0 स्थापित कर और चालू किया गया है तथा अहमदाबाद-वडोदरा खंड के 84 किलोमीटर में परीक्षण शुरू किया गया है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे काम करता है कवच?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">कवच सिस्टम को रेल पटरियों और लोको दोनों पर इंस्टॉल करना ज़रूरी होता है. जब कोई कवच लैस ट्रेन कवच लगे ट्रैक से गुज़रती है तो सेंसर के माध्यम से ट्रेन की स्पीड और स्थान आदि पता चल जाती है. इसी तरह सामने से आ रही ट्रेन का डेटा भी सिस्टम में आ जाता है. दोनों ट्रेनों की स्पीड और कम दूरी आदि को देखते हुए कवच सिस्टम अपने आप ही दोनों ट्रेनों को रोक देता है. इस समय इंजन (लोको) और पटरियों पर कवच इंस्टॉल करने का काम चल रहा है और इस बाबत नए टेंडर भी दिए जा रहे हैं.</p>
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