भारत ने ‘खिलौनों’ से दे दी चीन को शिकस्त! 4 साल में बदल डाला पूरा खेल

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India Beats China in Toy Industry: भारत का खिलौना बाजार अब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है. चार साल के अंदर भारत ने चीन से खिलौनों का आयात अस्सी प्रतिशत तक कम कर दिया है. सरकार द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ और कड़े गुणवत्ता नियंत्रण नियमों ने इसमें अहम भूमिका निभाई.
भारत ने वित्तीय वर्ष 2020-24 के बीच खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी को बीस प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर दिया और क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर लागू किया. इसका नतीजा यह रहा कि वित्तीय वर्ष 2020 में चीन से 235 मिलियन डॉलर के खिलौने आयात किए गए थे, जो 2024 तक घटकर केवल 41 मिलियन डॉलर रह गए. साथ ही, भारत अब खिलौनों का शुद्ध निर्यातक बन चुका है.
चुनौती और विकास का दौर
हालांकि, चीन के दबदबे को चुनौती देना आसान नहीं है. चीन जहां वैश्विक खिलौना निर्यात में अस्सी प्रतिशत का हिस्सा रखता है, वहीं भारत केवल 0.3 प्रतिशत पर खड़ा है. भारत का खिलौना बाजार वर्तमान में तीन बिलियन डॉलर का है, जबकि वैश्विक बाजार 108 बिलियन डॉलर का है.
इकोनॉमिक टाइम्स ने माइक्रो प्लास्टिक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर विजेंद्र बाबू के हवाले से बताया, “भारतीय खिलौना उद्योग अब नई तकनीक और बेहतर उत्पादन पर ध्यान दे रहा है.”  इसी कोशिश में, प्लेग्रो टॉयज जैसे बड़े घरेलू ब्रांड ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में देश की सबसे बड़ी निर्माण इकाई स्थापित करने की योजना बनाई है.
पारंपरिक से आधुनिक खिलौनों तक
भारत के पारंपरिक खिलौनों की मांग भी बढ़ रही है. नर्मल वुडन टॉयज, चन्नापटना के खिलौने और मध्य प्रदेश के सुपारी से बने खिलौने भारतीय संस्कृति को जीवंत रखते हैं. सरकार इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. अखबार ने फनस्कूल के जनरल मैनेजर फिलिप रॉयप्पन के हवाले से बताया है, “भारत में अभी भी प्रशिक्षित खिलौना डिज़ाइनरों की कमी है. उद्योग को गुणवत्ता, नवीनता और प्रतिस्पर्धात्मकता पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.”
भविष्य की राह
सरकार भी खिलौना उद्योग को एक “चैम्पियन सेक्टर” के रूप में देख रही है. प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम और जीएसटी में सुधार की मांग की जा रही है, जिससे खिलौना निर्माण सस्ता और प्रभावी हो सके.
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, एक्वस के चेयरमैन अरविंद मेलिगेरी ने कहा, “अगर भारत में PLI स्कीम लागू होती है और वैश्विक ब्रांड भारत से खिलौने खरीदने को प्राथमिकता देते हैं, तो भारत का निर्यात कुछ वर्षों में 150 मिलियन डॉलर से बढ़कर 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.”
भारतीय खिलौना उद्योग के सामने सबसे बड़ी चुनौती मोबाइल फोन है. प्लेग्रो टॉयज के चेयरमैन मनु गुप्ता ने कहा, “मोबाइल एक उपकरण है, लेकिन खिलौने बच्चों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाते हैं.” यह आत्मनिर्भरता का खेल अब सिर्फ शुरुआत है.
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