बांग्लादेश बॉर्डर पर 150 गज की दूरी में फेंसिंग के मुद्दे पर बोले BGB चीफ- ये नो मेन्स लैंड…

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बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने बॉर्डर पर 150 गज की भूमि में फेंसिंग का मुद्दा भारत के सामने उठाया और कुछ आपत्तियां जताई हैं. उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच शून्य रेखा के दोनों ओर 150 गज की दूरी पर बगैर सहमति के किसी भी मुल्क को कोई ढांचा बनाने की अनुमति नहीं है क्योंकि ये नो मेन्स लैंड है.
भारत इस एरिया में बाड़ लगा रहा है, जिस पर बांग्लादेश को ऐतराज है. वो इसको डिफेंस डेवलपमेंट के तौर पर देखता है, जिसके लिए दोनों मुल्कों की सहमति जरूरी है. हालांकि, भारत इसको डिफेंस स्ट्रक्चर नहीं मानता और उसका कहना है कि सिर्फ अवैध घुसपैठ, आपराधिक गतिविधयों और चारे के लिए बॉर्डर क्रॉस करने वाले मवेशियों को रोकने के लिए यह किया जा रहा है. 
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार दिल्ली में बीजीबी और बीएसएफ के बीच तीन दिवसीय 55वां महानिदेशक स्तरी सीमा समन्वय सम्मेलन संपन्न हुआ. बीजीबी महानिदेशक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट बाड़ लगाए जाने का मुद्दा वार्ता के दौरान सबसे अधिक फोकस वाला एजेंडा था. उन्होंने कहा कि शून्य रेखा के दोनों ओर 150 गज की दूरी को ‘नो मैन्स लैंड’ माना जाता है और दोनों पक्षों को दूसरे पक्ष की सहमति के बिना कोई भी स्थायी ढांचा या रक्षा क्षमता वाला ढांचा बनाने की अनुमति नहीं है.
जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी  ने कहा कि बांग्लादेश ने उन मुद्दों पर आपत्ति जताई जहां उसका मानना ​​है कि आपसी सहमति अभी नहीं बनी है या इसे बेहतर तरीके से किया जा सकता है. उन्होंने और बीएसएफ महानिदेशक प्रमुख दलजीत सिंह चौधरी ने कहा कि उन्हें भविष्य में इन मुद्दों को सुलझाने की उम्मीद है और बीजीबी महानिदेशक ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में संयुक्त निरीक्षण किया जाएगा.
बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपैठ की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर दोनों प्रमुखों ने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त के बाद 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसी घटनाओं में कमी आई है. दलजीत सिंह चौधरी ने कहा, ‘घुसपैठ में काफी कमी आई है और यह बीजीबी की सक्रिय मदद से संभव हुआ है. पूरे संकट (पिछली सरकार के पतन) के दौरान बीजीबी हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही और सीमा पर शांति बनाए रखने में हमारी मदद की.’
जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी ने कहा, ‘दोनों पक्षों की ओर से कुछ विकास कार्य हो रहे हैं और दोनों पक्षों की सहमति ली गई है, लेकिन कभी-कभी कुछ संवादहीनता के कारण अगर दोनों में से किसी भी सेना को जानकारी नहीं दी जाती है, तो दूसरी सेना द्वारा आपत्ति उठाई जाती है… हम इन मुद्दों को पारस्परिक रूप से सुलझाने का प्रयास करते हैं.’
बीजीबी प्रमुख ने यह भी कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा संधि को फिर से तैयार करने पर कोई चर्चा नहीं हुई, जिस पर 1975 में सहमति बनी थी. उन्होंने कहा, ‘यह इस बैठक के दायरे में नहीं था.’ यह भारत और बांग्लादेश के बीच उनके संबंधित सीमा सुरक्षा बलों – बीएसएफ और बीजीबी द्वारा आयोजित द्विवार्षिक डीजी-स्तरीय सीमा वार्ता का 55वां संस्करण था.
पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यह दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच पहली शीर्ष स्तरीय बैठक थी. बीएसएफ 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा की रक्षा करता है जो पांच राज्यों – पश्चिम बंगाल (2,217 किलोमीटर), त्रिपुरा (856 किलोमीटर), मेघालय (443 किलोमीटर), असम (262 किलोमीटर) और मिजोरम (318 किलोमीटर) से होकर गुजरती है.
 
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