अमित शाह के कश्मीर पहुंचते ही हुर्रियत को झटका, 3 संगठनों ने छोड़ा साथ

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कश्मीर घाटी के तीन दिवसीय दौरे के दौरान अलगाववादी संगठन हुरियत को तगड़ा झटका लगा है. दरअसल शाह के कश्‍मीर पहुंचते ही तीन बड़े संगठनों ने हुरियत का साथ छोड़ दिया है. 
गृह मंत्री ने इस बात की जानकारी खुद अपने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर देते हुए लिखा, ‘जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी, जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग और कश्मीर फ्रीडम फ्रंट जैसे तीन और संगठनों ने हुर्रियत से खुद को अलग कर लिया है. यह घाटी में लोगों के भारत के संविधान में विश्वास का एक प्रमुख प्रदर्शन है. मोदी जी का एकजुट और शक्तिशाली भारत का सपना आज और भी मजबूत हो गया है, क्योंकि अब तक 11 ऐसे संगठनों ने अलगाववाद को त्याग दिया है और इसके लिए अटूट समर्थन की घोषणा की है.’
तीन वरिष्ठ अलगवादी नेता हुए अलग 
इस संगठनों के तीन वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं हकीम अब्दुल रशीद, मोहम्मद यूसुफ नकाश, और बशीर अहमद अंद्राबी ने भी अलगाववाद को त्याग दिया और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलग अलग धड़ों से खुद को अलग कर लिया. 
इन तीनों में से एक मोहम्मद यूसुफ नकाश जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी के प्रमुख थे, जबकि हकीम अब्दुल रशीद जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के अध्यक्ष थे और बशीर अहमद अंद्राबी कश्मीर फ्रीडम फ्रंट का नेतृत्व करते थे. इन नेताओं ने अलग-अलग लेकिन लगभग एकसमान बयानों में भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा जताई और अलगाववादी एजेंडे से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया.
इससे पहले भी भारत विरोधी समूह के 23 में से  11 सदस्यों ने खुद को इस समूह से अलग कर लिया था और मुख्यधारा की भारत समर्थक राजनीति में लौटने की घोषणा की थी. 
कश्मीर पर प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की सराहना 
जम्मू और कश्मीर पर प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि, ‘यह घाटी के लोगों के भारत के संविधान में विश्वास का एक प्रमुख प्रदर्शन है. मोदी जी का एकजुट और शक्तिशाली भारत का दृष्टिकोण आज और भी मजबूत हो गया है, क्योंकि अब तक 11 ऐसे संगठनों ने अलगाववाद को त्याग दिया है और इसके लिए अटूट समर्थन की घोषणा की है.’
वहीं केकेएफ के अध्यक्ष बशीर अहमद अंद्राबी, इस्लामिक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष मोहम्मद यूसुफ नकाश और मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के अध्यक्ष हकीम अब्दुल रशीद ने अलग-अलग बयानों में कहा कि उनका ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) या कश्मीर में सक्रिय किसी अन्य अलगाववादी गुट से कोई भी संबंध नहीं है.
तीन नेताओं ने क्या कहा
केकेएफ के अध्यक्ष बशीर अहमद अंद्राबी ने घोषणापत्र में कहा, ‘हम ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की विचारधारा का कड़ा विरोध करते हैं, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं और शिकायतों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने में विफल रही है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरा संगठन और मैं भारत के संविधान को बनाए रखने के लिए समर्पित हैं. हम ऐसे किसी भी समूह से संबद्ध नहीं हैं जो भारत के हितों के खिलाफ काम करता है.’
इसी तरह, नकाश ने कहा कि उनका हुर्रियत, उसके सदस्यों या अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाली किसी भी अन्य इकाई से कोई संबंध या संबद्धता नहीं है. हकीम ने एक बयान में कहा, ‘एपीएचसी या उसके गुटों के संबंध में मेरे या मेरे संगठन के नाम का कोई भी उपयोग हमारे लिए कानूनी परिणामों के साथ होगा. मैं भारत का एक वफादार नागरिक हूं और मेरा संगठन और मैं दोनों भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं.’
उम्मीदों पर खरा नहीं हो पाया अलगाववादी गठबंधन
अब तक हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के आठ घटक अलगाववादी गठबंधन से बाहर निकल चुके हैं, उनका कहना है कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रहा है.
इससे पहले जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकलाल (स्वतंत्रता के लिए आंदोलन), जम्मू-कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन, जम्मू-कश्मीर लोकतांत्रिक आंदोलन, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और जम्मू-कश्मीर साल्वेशन मूवमेंट ने पिछले महीने अलगाववाद का त्याग कर दिया था. उस समय, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ‘कश्मीर में अलगाववाद इतिहास बन गया है’ और जोर देकर कहा कि यह भारत की एकता को मजबूत करेगा.
पिछले साल सितंबर में हुर्रियत कांफ्रेंस के पूर्व पदाधिकारी और जम्मू-कश्मीर नेशनल पार्टी के प्रमुख सैयद सलीम गिलानी अलगाववादी खेमे से अलग होकर मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए थे.
ये घटनाक्रम केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाली अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और शिया नेता मसरूर अंसारी के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगाए जाने के तुरंत बाद सामने आए हैं.

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