Punjab IED Blast: पंजाब में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बाड़ के पास बुधवार (9 अप्रैल, 2025) को हुए ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया. इस जगह पर किसी की हत्या या किसी को घायल किए जाने के मकसद से इस तरह के खतरनाक विस्फोटकों के इस्तेमाल का यह पहला मामला है.
ये घटना गुरदासपुर जिले के दोरंगला गांव के पास 8-9 अप्रैल की मध्य रात्रि को हुई. बीएसएफ ने पंजाब में इस सीमा के 553 किलोमीटर के क्षेत्र में अलर्ट जारी किया है और विस्फोट वाले क्षेत्र के आसपास खेती पर रोक लगा दी है. बीएसएफ के सूत्रों ने बताया कि तकनीकी और फोरेंसिक जांच पूरी होने के बाद बीएसएफ इस मामले को उठाएगा और सीमा पार पाकिस्तान रेंजर्स को कड़ा विरोध पत्र जारी करेगा.
बीएसएफ का एक जवान हुआ घायलअधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ का एक दल रात के समय सीमा सुरक्षा बाड़ के निकट गश्त कर रहा था और उसने भारतीय क्षेत्र में छिपाए गए तारों के साथ कई आईईडी पाए. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यहां लगभग दो आईआईडी मिले. बयान में कहा गया है कि इलाके की घेराबंदी, छानबीन और तलाशी के दौरान कुछ आईईडी के विस्फोटक उपकरण दुर्घटनावश फट गए जिसके कारण बीएसएफ के एक जवान के पैर में गंभीर चोट लग गई.
सूत्रों ने बताया कि कांस्टेबल रैंक के जवान के पैर में चोटें आईं और विस्फोट के कारण उसके एक पैर का अंगूठा उड़ गया. बीएसएफ ने कहा कि जोखिमों के बावजूद जवानों ने अपना अभियान जारी रखा और सफलतापूर्वक क्षेत्र को सुरक्षित किया. अन्य बचे आईईडी को निष्क्रिय कर दिया गया.
बीएसएफ ने जारी किया अलर्टपंजाब स्थित बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुरदासपुर क्षेत्र में सीमा पार से ड्रोन हमले पहले भी हुए हैं, जिनमें पाकिस्तान से अवैध रूप से मादक पदार्थ लाए गए हैं लेकिन आईईडी का मामला निश्चित रूप से नया है. उन्होंने बताया कि जालंधर स्थित बीएसएफ के पंजाब फ्रंटियर मुख्यालय के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और सुरक्षा समीक्षा कर रहे हैं. साथ ही अलर्ट भी जारी कर दिया गया है.
‘इससे पहले आईईडी का कभी इस्तेमाल नहीं हुआ’अधिकारी ने कहा, ‘यह पहली बार है कि इस क्षेत्र में या पंजाब सीमा पर कहीं भी या अंतरराष्ट्रीय सीमा के पूरे 2,289 किलोमीटर क्षेत्र में आईईडी हमला हुआ है’. बीएसएफ के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान और 2001 में संसद पर हमले के बाद जब भारत ने अपने सुरक्षा बलों को पाकिस्तान की सीमा पर भेजा था, तब ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान भारत और पाकिस्तान दोनों सेनाओं ने बारूदी सुरंगें बिछाई थीं. इन बारूदी सुरंगों को चिह्नित करके निष्क्रिय कर दिया गया था लेकिन आईईडी का कभी इस्तेमाल नहीं किया गया.
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