National Conference on Waqf Law : वक्फ संशोधन कानून, 2025 पर जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने वक्फ संसोधन कानून की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इसे लेकर पहले ही कहा था कि वह वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर करेगी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक और मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने जम्मू-कश्मीर के विधानसभा के बाद मीडिया से कहा, “पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के निर्देश पर नेशनल कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर करेगी.”
मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों पर हमला है ये कानून- सादिक
उन्होंने कहा, “पार्टी का ऐसा मानना है कि यह वक्फ संशोधन कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में संवैधानिक तौर पर चिंताजनक हस्तक्षेप है. यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 और 300A का सीधी तौर से उल्लंघन करती है, जो संवैधानिक रूप से मौलिक अधिकारों के रक्षा के लिए है.”
On the directions of Party President Dr. Farooq Abdullah, and in the interest of the minorities of India, JKNC has challenged the Waqf Amendment Act in the Supreme Court. Our MLAs @arjunsinghraju, @AdvReyazkhan & Hilal Lone have filed a writ petition today seeking justice. pic.twitter.com/ZDDDupDIqs
— JKNC (@JKNC_) April 11, 2025
उन्होंने आगे कहा, “यह देश के मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और प्रॉपर्टी के अधिकारों पर सीधा हमला है.”
असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद ने भी दायर की याचिका
नेशनल कॉन्फ्रेंस से पहले एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस पार्टी के एक सांसद मोहम्मद जावेद ने इस कानून की संवैधानिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. हालांकि, इन दोनों नेताओं ने इसके कानून के संसद से पारित होने के पहले ही याचिका दायर की थी.
5 अप्रैल को कानून बन गया वक्फ संशोधन विधेयक
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह शनिवार (5 अप्रैल) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन गया. इसके पहले बुधवार (2 अप्रैल) को वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में चर्चा और पारित करने के लिए लाया गया था, जहां यह बिल 288 मतों से पारित हो गया.
इसके बाद गुरुवार (3 अप्रैल) को इस विधेयक को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया गया था, जहां यह विधेयक 128 मतों से पारित हुआ था.
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