किसानों के दिल्ली कूच पर ब्रेक! पंढेर बोले- ‘पुलिस ने पहले बरसाए फूल, फिर दागीं रबर की गोलियां’

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Farmers Delhi March Postponed: किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने रविवार (08, दिसंबर, 2024) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनके जत्थे को दिल्ली की ओर शांतिपूर्वक बढ़ने से रोका गया. हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, जिससे 6 किसान घायल हो गए. उन्होंने सरकार पर किसानों को बदनाम करने और बातचीत से बचने का आरोप लगाया. पंढेर ने कहा कि आज का जत्था वापस बुला लिया गया है और आगे की रणनीति पर फैसला सोमवार (09 दिसंबर) को किया जाएगा. उन्होंने इंटरनेट बंद और मीडिया पर पाबंदी की भी आलोचना की. 

सरवन सिंह पंढेर ने कहा “हमने फैसला किया है कि कल दोनों फोरमों की मीटिंग करेंगे. खनौरी, डबवाली में क्या हो रहा है?, घायलों की स्थित क्या है और आगे कब जत्था दिल्ली की ओर जाएगा, ये कल शाम को बताएंगे.” उन्होंने कहा कि दोनों फोरमों ने निर्णय किया है कि आज का जत्था वापस बुलाया जाए. जैसे 12 बजे के बाद पौने चार बजे तक हमारे जत्थे ने शांतिपूर्वक ढंग से दिल्ली की तरफ बढ़ने की कोशिश की. हमें मालूम था 101 आदमियों की इतनी शक्ति नहीं है जितना प्रबंध सरकार ने आगे किया था.
‘देश के किसानों को बदनाम करना चाहती है सरकार’किसान नेता पंढेर ने आगे कहा “हमारा मानना है कि सरकार को ऐसा लगता है कि उनके पास दुनिया का सबसे बड़ा प्रोपेगेंडा करने की क्षमता है. जैसे अंबाला में स्कूल इंटरनेट बंद करके और ये बोलकर कि हरियाणा में आकर दंगा करेंगे. उनको लगता है हम देश के किसानों को बदनाम करेंगे. इसलिए हमसे बातचीत नहीं कर रहें हैं. ”
‘किसानों को बेहोश करने की थी कोशिश’किसान नेता ने कहा कि हमने खालिस्तानी, नक्सली तो सुन रखा था. आज बिट्टू से तालिबानी भी सुन लिया. हमने अनुशासन बनाए रखा. डीजीपी हरियाणा ने कहा कि मीडिया को 1 किमी दूर रखा जाए. सुबह पंजाब पुलिस ने मीडिया को रोका फिर फूल बरसाने के 2 मिनट बाद आंसू गैस के गोले और रबड़ की गोलियां दागी. जहरीली गैस छोड़ी गई. पूरी कोशिश थी कि किसानों को बेहोश किया जाए. आज 6 किसान घायल हो गए.
 
सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोधबता दें कि सरकार और किसान संगठनों के बीच जारी ये गतिरोध नया नहीं है लंबे समय से बातचीत को लेकर चल रहा संकट अभी सुलझ नहीं पाया है.सरकार ने दावा किया है कि वह बातचीत के लिए तैयार है और किसानों के हितों का ध्यान रखा गया है. वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि सरकार बातचीत केवल दिखावे की रही है, उनके असली मुद्दों को सुलझाने की कोई कोशिश नहीं की गई है.
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