5 साल में 65 बार फेल हुए एयरक्राफ्ट के इंजन, RTI डेटा से चौंकाने वाले खुलासा

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भारत में विमानन सुरक्षा को लेकर हाल के वर्षों में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 से 2025 के बीच उड़ान के दौरान 65 बार इंजन फेल हुए. इसके अतिरिक्त, 17 महीनों में 11 मेडे कॉल दर्ज की गईं.
विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया में कहीं भी इंजन फेल होना या मेडे कॉल पूरी तरह से असामान्य नहीं है, लेकिन भारत में इसकी दोबारा होने से इसे चिंताजनक बना दिया है. इन घटनाओं के पीछे मुख्य कारणों में शामिल हैं, जो इस प्रकार है.

फ्यूल में जल या अन्य गंदगी का होना.
टरबाइन में खराबी.
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में गड़बड़ी.
ईंधन आपूर्ति में अवरोध.

पायलट महासंघ के अनुसार, हर ऐसी स्थिति में विमान चालक दल ने एकल इंजन पर विमान को सुरक्षित रूप से लैंड कराया.
उड़ान के दौरान इंजन फेल क्यों होता है?DGCA के डेटा से संकेत मिलता है कि भारत में उड़ान के दौरान इंजन बंद होने की प्रमुख वजहें तकनीकी होती हैं. इनमें शामिल हैं.

ईंधन फिल्टर का ब्लॉक होना.
फ्यूल में पानी का मिल जाना.
विदेशी वस्तुओं का इंजन स्टैक में प्रवेश.
सेंसर या इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में खराबी.

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के कुछ हवाई अड्डों पर रखरखाव प्रक्रियाओं और निरीक्षण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की रैंकिंग 48वें स्थान पर होना भी इस बात की पुष्टि करता है कि यहाँ सुधार की गुंजाइश है.
क्या होता है मेडे कॉलमेडे कॉल कोई सामान्य अलर्ट नहीं होता. यह तब जारी किया जाता है जब, विमान में आग लग जाए.इंजन पूरी तरह से फेल हो जाए.ईंधन समाप्त होने जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो.ALPA इंडिया के अनुसार, मेडे कॉल और “पैन पैन” अलर्ट में अंतर होता है. पैन पैन तकनीकी गड़बड़ी के लिए होता है, जबकि मेडे कॉल जानलेवा खतरे का संकेत है.DGCA के हवाई सुरक्षा निदेशक के अनुसार, नागरिक उड्डयन आवश्यकता (CAR), परिपत्र और सूचना परिपत्र जारी कर सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है. परंतु, आंकड़े बताते हैं कि इन प्रक्रियाओं में सख्ती से पालन की अभी भी कमी है.
भारत में विमानन सुरक्षा सुधार के उपाययदि भारत को वैश्विक विमानन सुरक्षा मानकों में अपनी स्थिति मजबूत करनी है तो निम्नलिखित उपाय जरूरी हैं:

नियमित तकनीकी निरीक्षण.
पायलटों और तकनीशियनों का उच्चस्तरीय प्रशिक्षण.
आपात स्थिति प्रबंधन के लिए उन्नत प्रणाली.
DGCA की तरफ से सख्त निगरानी और कार्रवाई.

सरकारी एजेंसियों और निजी एयरलाइनों के बीच समन्वय भी आवश्यक है ताकि विमान संचालन में हर स्तर पर गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके.
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