ईडी ने हैदराबाद में चल रहे एक बड़े immoral trafficking रैकेट पर कार्रवाई करते हुए लगभग 1.90 लाख रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है. ये कार्रवाई पीएमएलए के तहत की गई है. इस गिरोह का संचालन बांग्लादेशी नागरिक कर रहे थे.
तेलंगाना पुलिस ने इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की थी, जिन्हें बाद में एनआईए ने अपने हाथ में लिया. पुलिस ने हैदराबाद के बाहरी इलाकों में दो जगह छापेमारी की, जहां संगठित तरीके से देह व्यापार और मानव तस्करी का धंधा चल रहा था. इस छापेमारी में कई बांग्लादेशी नागरिकों की गिरफ्तारी हुई.
जांच में पता चला कि गिरफ्तार किए गए अधिकतर आरोपी बांग्लादेशी नागरिक हैं, जो बिना वैध दस्तावेजों के भारत में घुसे थे. इन्होंने फर्जी भारतीय पहचान पत्र बनवा लिए थे और अन्य मामलों में गिरफ्तार होने के बावजूद अपने गलत कामों में लगे रहे.
ये आरोपी बांग्लादेश से लड़कियों को बहला-फुसलाकर भारत लाते थे. उन्हें अच्छी नौकरी जैसे ब्यूटी पार्लर, टेलरिंग, स्टील फैक्ट्री या घरेलू नौकरियों का लालच दिया जाता था लेकिन भारत लाने के बाद जबरन देह व्यापार में धकेल दिया जाता था. इन लड़कियों को पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों से गैरकानूनी तरीके से भारत में लाया जाता था.
‘वैश्यालय चला रहे थे आरोपी’ईडी की जांच में सामने आया कि आरोपी हैदराबाद और उसके आसपास कई जगहों पर वैश्यालय चला रहे थे. इसके अलावा लड़कियों को अन्य एजेंटों और कोठों तक भी भेजा जाता था जिससे उन्हें कमीशन मिलता था. आरोपियों ने फर्जी भारतीय पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर कई बैंक अकाउंट और डिजिटल वॉलेट बनाए थे जिनका उपयोग इस अवैध धंधे के पैसों के लेन-देन में किया जाता था.
‘लड़की के बदले 5 हजार रुपये तक करते थे भुगतान’बांग्लादेशी लड़कियों की तस्करी के लिए वे भारत-बांग्लादेश सीमा पर सक्रिय एजेंटों को प्रति लड़की 4,000 से 5,000 रुपये तक का भुगतान करते थे. ये रकम कई लोगों के बीच बांटी जाती थी. इस तस्करी के लिए भुगतान बैंकिंग चैनलों के जरिए और नकद दोनों रूपों में किया जाता था. आरोपियों ने पैसों की ट्रैकिंग से बचने के लिए मनी ट्रांसफर सर्विस और फाइनेंशियल ऐप्स का इस्तेमाल किया. वे ट्रांजेक्शन को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर करते थे ताकि किसी को शक न हो.
ईडी की जांच में ये भी सामने आया कि इस अपराध से कमाए गए पैसों का बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में मौजूद एजेंटों को भेजा जाता था. वो इस रकम को नकद निकालकर हवाला के जरिए आरोपियों के परिवारों और पीड़ित लड़कियों के परिजनों को बांग्लादेश में भेज देते थे. इसके लिए कई बार bKash (बांग्लादेश बैंक की मोबाइल फाइनेंशियल सर्विस) का भी इस्तेमाल किया गया.
ईडी ने इस मामले में एक प्रमुख आरोपी रुहुल अमीन धाली की संपत्तियों को जब्त किया है. वो बांग्लादेशी लड़कियों की तस्करी के सबसे बड़े एजेंटों में से एक था. जब्त संपत्तियों में Paytm वॉलेट और बैंक खातों में जमा राशि के साथ-साथ उसकी एक अचल संपत्ति (immovable property) भी शामिल है.
ED इस मामले की आगे जांच कर रही है और इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों का भी पता लगाया जा रहा है.
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