क्या राणा सांगा ने सच में बाबर को बुलाया था भारत? किसने लिखी थी वो चिट्ठी, जानें पूरी कहानी

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राज्यसभा के भीतर समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के राणा सांगा पर विवादित बयान से राजस्थान समेत पूरे देश की राजनीति गरमाई हुई है. महराणा सांगा अपने पिता महाराणा रायमल की मृत्यु के बाद 1509 ई. में 27 साल की उम्र में मेवाड़ के शासक बने. मेवाड़ के महाराणाओं में वह सबसे अधिक प्रतापी योद्धा थे. महाराणा सांगा ने अपने जीवन काल में कई युद्ध लड़े लेकिन भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डालने वाले मुगल शासक बाबर के साथ युद्ध को याद रखा जाता है.
सपा सांसद ने राज्यसभा में कहा कि इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लाया था. इस पर इंडिया टूडे से बातचीत करते हुए इतिहासकारों ने अपनी राय दी है. 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी को पराजित कर बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डाली. उसके बाद से ही बाबर और महाराणा सांगा के बीच संघर्ष शुरू हो गया. बाबर इब्राहिम लोदी पर विजय के बाद संपूर्ण भारत पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहता था, लेकिन राणा सांगा को पराजित किए बिना ऐसा संभव नहीं था.
राणा सांगा ने बाबर को धूल चटाई
मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने पानीपत में अपनी जीत से बहुत पहले ही भारत की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी थी. तैमूर और चंगेज खान के वंशज बाबर को फरगाना में अपनी मातृभूमि से बाहर निकाल दिया गया था, उसने साम्राज्य का सपना देखते हुए काबुल के बीहड़ पहाड़ों में दो दशक से अधिक समय बिताया. फरगाना और समरकंद में अपनी पैतृक भूमि के खोने का उन पर भारी असर पड़ा और हिंदुस्तान की संपदा उन्हें नई संभावनाएं प्रदान करने लगी.
पानीपत की लड़ाई के बाद अफगान नेता महाराणा सांगा की शरण में पहुंचे. राजपूत अफगान का मोर्चा बाबर के लिए भय का कारण बन गया. महाराणा सांगा ने फरवरी 1527 में बयाना पर विजय प्राप्त की जो कि कहा जाता हैं कि बाबर के खिलाफ पर एक महत्वपूर्ण विजय थी. राजपूतों की वीरता की बातें सुनकर बाबर के सैनिकों का मनोबल टूटा. 
राणा सांगा के आंख में लगा तीर
16 मार्च 1527 की सुबह भरतपुर के खानवा में युद्ध शुरू हुआ. पहली मुठभेड़ राजपूतों के हाथ लगी, लेकिन अचानक ही एक तीर आया और राणा सांगा के आंख में लगा. वह युद्ध भूमि से दूर गए और राजपूत युद्ध हार गए. इसके बाद भारत में मुगल साम्राज्य स्थापित हो गया. बाबर ने युद्ध का बदला लेने के लिए युद्ध विरोधी सरदारों ने सांगा को जहर देकर मार दिया. महाराणा सांगा की 30 जनवरी 1528 ई. में 46 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआ.
कई बार कहा गया है कि बाबर के भारत आने का कारण मेवाड़ के राणा सांगा का निमंत्रण था. यह पत्र दिल्ली के लोदी शासक इब्राहिम लोदी को हराने के लिए एक निमंत्रण था, जिसे राणा सांगा ने 18 बार हराया था. रिपोर्ट के मुताबिक कई संदर्भों से पता चलता है कि राणा सांगा ने कभी वह निमंत्रण नहीं भेजा था? यह पत्र पंजाब के गवर्नर दौलत खान ने बाबर को पत्र भेजे ताकि वह दिल्ली के सुल्तान को कमजोर कर सके और दिल्ली को अपने शासन में मिला सके.
किसने मांगी थी बाबर से मदद?
1523 में बाबर को दिल्ली सल्तनत के प्रमुख लोगों से निमंत्रण मिला था. सुल्तान सिकंदर लोदी के भाई आलम खान लोदी, पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी और इब्राहिम लोदी के चाचा अलाउद्दीन ने इब्राहिम के शासन को चुनौती देने के लिए उसकी मदद मांगी. इतिहासकार के अनुसार बाबरनामा में राणा सांगा के निमंत्रण का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह पानीपत के युद्ध के बाद का जिक्र है. जब बाबर राजपूत राजा के विरुद्ध युद्ध की तैयारी कर रहा था.
बाबर ने ही किया था राणा सांगा से संपर्क
जीएन शर्मा और गौरीशंकर हीराचंद ओझा जैसे कई इतिहासकारों का तर्क है कि बाबर ने अपने साझा प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम लोदी के खिलाफ गठबंधन की उम्मीद में स्वयं राणा सांगा से संपर्क किया था. राणा सांगा शुरू में इसके लिए तैयार दिखे, लेकिन बाद में उन्होंने संभवतः मेवाड़ दरबार में अपने सलाहकारों के प्रतिरोध के कारण अपने कदम पीछे खींच लिए.
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