नतीजों के बाद क्यों उड़ गई उद्धव और शरद पवार की नींद! अब किस भूमिका में नजर आएंगे केजरीवाल

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Delhi Assembly Election Results 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में शिवसेना और एनसीपी ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया था. 
वहीं, दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को न केवल राजधानी में बल्कि महाराष्ट्र में भी बड़े पैमाने पर जश्न मनाने का कारण दे दिया है. महाराष्ट्र में चुनावी आधार के मामले में AAP कभी भी एक बड़ी ताकत नहीं रही, लेकिन शिवसेना (UBT) और NCP (SP) को केजरीवाल से उम्मीद थी. बीजेपी से मुकाबला करने के लिए अरविंद केजरीवाल शिवसेना (UBT) और NCP (SP) के साथ आ जाते थे. वहीं, इस हर के बाद उन्हें एक बड़ा झटका लगा है. 
जानें आम आदमी पार्टी का महाराष्ट्र से संबंध 
कई मायनों में, केजरीवाल का महाराष्ट्र से संबंध भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय अभियान से जुड़ा है, जिसने 2011-12 में गति पकड़ी थी. इसका नेतृत्व पुणे जिले के रालेगांव निवासी समाज सुधारक अन्ना हजारे ने किया था. दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और लोकपाल विधेयक के लिए दबाव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों में अरविंद केजरीवाल, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी, मेधा पाटकर, स्वामी अग्निवेश, कर्नल देविंदर सहरावत, हर्ष मंदर आदि शामिल थे. अप्रैल 2011 में हजारे ने लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर भूख हड़ताल की थी.
वहीं, अन्ना हजारे ने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP के खिलाफ वोट करने का आह्वान किया था. इस बार अन्ना हजारे ने केजरीवाल पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हजारे ने कहा, “नेता को हमेशा निस्वार्थ और ईमानदार होना चाहिए. अगर आप लोगों का समर्थन हासिल करना चाहते हैं तो ये गुण जरूरी हैं.”
कई मौके पर कर चुके हैं एक-दूसरे का समर्थन
 भाजपा के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई में जब शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने हाथ मिलाया था तो केजरीवाल भी इसमें भी शामिल हो गए थे. जब भाजपा ने अपने ‘ऑपरेशन लोटस’ से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को विभाजित किया  तो केंद्र और महाराष्ट्र दोनों में आप के नेता बीजेपी पर हमला करने में सबसे आगे थे.
जब केंद्र ने कानून के माध्यम से ग्रुप ए अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए अध्यादेश जारी किया, तो केजरीवाल ने समर्थन मांगने के लिए उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री का दौरा किया और पवार से भी मुलाकात की. उन्होंने सभी गैर-भाजपा दलों से आगे आकर कानून का विरोध करने की अपील की. उनका तर्क था कि यह निर्वाचित राज्य सरकार की भूमिकाओं को कमजोर कर रहा है. 
कई मोर्चे पर लड़नी होगी लड़ाई
जब केजरीवाल को गिरफ़्तार किया गया तो शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) ने समर्थन का वादा किया था और दिल्ली में आयोजित विरोध रैली में भाग लिया. पिछले साल लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान केजरीवाल ने क्रमशः शिवाजी पार्क और बीकेसी में आयोजित इंडिया ब्लॉक रैली में भाग लिया था. दिल्ली विधानसभा के नतीजों ने शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) को परेशान कर दिया है. माना जा रहा है कि केजरीवाल को भाजपा के खिलाफ कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी होगी.

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