Mahakumbh Stampede 2025: प्रयागराज के महाकुंभ मेले में मंगलवार और बुधवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. करीब 12.5 करोड़ से अधिक लोग पवित्र स्नान के लिए पहुंचे, जो उत्तर प्रदेश की आधी आबादी के बराबर था. प्रशासन ने भीड़ के प्रबंधन के लिए इंतजाम किए थे, लेकिन लाखों श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रशासन की अपील को नजरअंदाज कर दिया. प्रशासन ने लोगों से अनुरोध किया था कि वे अपने नजदीकी घाट पर स्नान करें और संगम नोज क्षेत्र में अधिक भीड़ न करें, जहां जगह सीमित थी.
भगदड़ कैसे हुई?जानकारी के अनुसार, रात करीब 1 बजे कुछ श्रद्धालु अखाड़ा मार्ग पर लगे बैरिकेड्स पार कर गए. यह मार्ग विशेष रूप से अमृत स्नान के लिए अखाड़ों के जुलूस के लिए तय किया गया था. बैरिकेड्स तोड़ने की इस प्रक्रिया में कुछ लोग घायल हो गए. इसके बाद, बढ़ती भीड़ ने उन लोगों को कुचल दिया जो पहले से ही स्नान के लिए सुबह का इंतजार कर रहे थे. इस अफरातफरी ने पूरे मेला क्षेत्र को असुरक्षित बना दिया.
तीन दिनों से बढ़ रही थी भीड़पिछले तीन दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई. इसके बावजूद, प्रशासन भीड़ प्रबंधन के लिए काफी प्रयास कर रहा था. हादसा अखाड़ा मार्ग और संगम घाट पर हुआ, जहां लाखों श्रद्धालु जमा थे.
पहला दिन: 1.74 करोड़दूसरा दिन: 1.55 करोड़तीसरा दिन: 5 करोड़
प्रशासन के इंतजाम और भीड़ की समस्यामेला प्रशासन ने विशेष रूप से अखाड़ों के संतों के स्नान के लिए सुबह 5 बजे तक व्यवस्था की थी. हालांकि, 28 जनवरी की शाम 7 बजे तक लाखों तीर्थयात्री पहुंच चुके थे और उनमें से कई लोग स्नान करने के बाद भी वहां से नहीं हटे. कई श्रद्धालु रातभर वहीं रुके रहे ताकि सुबह फिर से डुबकी लगा सकें. अधिकारियों ने बैरिकेड्स लगाकर भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की और श्रद्धालुओं से आगे बढ़ने का अनुरोध किया, लेकिन भीड़ लगातार बढ़ती रही.
पीपा पुलों का बंद होना और भीड़ का नियंत्रण से बाहर होनाघटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अमृत स्नान के मद्देनजर अधिकांश पीपा पुलों को बंद कर दिया गया था. इससे झूसी की ओर से आने वाले श्रद्धालु संगम नोज क्षेत्र में न जा सकें, लेकिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूसरे तरफ से प्रवेश कर गए. पीपा पुलों से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं होने से भीड़ अनियंत्रित हो गई. मुख्य प्रवेश द्वारों पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई, जिससे भयावह जाम लग गया. जब लोगों ने बैरिकेड्स को धक्का दिया, तो कुछ संतुलन खो बैठे और गिर गए. इस कारण भगदड़ मच गई.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कई श्रद्धालु एक ही मार्ग से प्रवेश और निकास करने लगे. इससे भीड़ काफी बढ़ गई और जब भगदड़ मची, तो लोगों के पास निकलने का कोई रास्ता नहीं था.भीड़ में फंसने से कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े, तंग जगह होने के कारण बहुत से लोग कुचल गए, सुरक्षाकर्मियों के लिए इस भीड़ को संभालना कठिन हो गया.
तेजी से लिया गया नियंत्रणकेंद्रीय अर्धसैनिक बलों, बीएसएफ और एनडीआरएफ ने कड़ी मशक्कत के बाद स्थिति को एक घंटे के भीतर नियंत्रण में ले लिया. एनएसजी कमांडो और प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों ने सुरक्षाकर्मियों की मदद की. सुरक्षाबलों ने श्रद्धालुओं के लिए मानव श्रृंखला बनाकर सुरक्षित रास्ता तैयार किया. एनडीआरएफ और बीएसएफ ने एंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया.भगदड़ के कुछ ही मिनटों में 150 से अधिक एंबुलेंस मौके पर पहुंच गईं. जिसका बाद घायलों को इलाज के लिए तेजी से अस्पताल पहुंचाया गया.
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