Amartya Sen On Delhi Election Result: हाल ही में आए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच एकता की सख्त जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों को आपसी सहमति से दिल्ली चुनाव मिलकर लड़ना चाहिए था.
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में अपने पैतृक घर पर पीटीआई से खास बातचीत में सेन ने यह भी कहा कि अगर भारत में धर्मनिरपेक्षता को जिंदा रखना है तो न सिर्फ एकता होनी चाहिए बल्कि उन चीजों पर सहमति भी होनी चाहिए जिन्होंने भारत को बहुलवाद का बेहतरीन उदाहरण बनाया है. आप की हार के पीछे के कारणों पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि एक कारण तो ये भी है कि उन लोगों के बीच एकता की कमी है जो दिल्ली में हिंदुत्ववादी सरकार नहीं चाहते.
‘हिंदुत्व को दिया गया ज्यादा महत्व’
उन्होंने कहा कि अगर कई सीटों पर संख्याओं को देखें तो आम आदमी पार्टी पर बीजेपी की बढ़त का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम था. इसके अलावा उन्होंने अरविंद केजरीवाल की पार्टी की नीतियों पर भी सवाल उठाए. अमर्त्य सेन ने कहा कि आम आदमी पार्टी की प्रतिबद्धताएं क्या थीं? मुझे नहीं लगता कि आप ये स्पष्ट करने में सफल रही कि वो पूरी तरह से धर्मनिर्पेक्ष है और सभी भारतीयों के लिए है. हिंदुत्व का बहुत ज्यादा महत्व दिया.
स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर अपने प्रयासों के लिए उन्होंने आप की प्रशंसा की और सुझाव दिया कि कांग्रेस को इन मुद्दों पर पार्टी में शामिल होना चाहिए था. नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, “मेरी एक बेटी दिल्ली में रहती है, और वह और उसका परिवार स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में AAP के प्रयासों की प्रशंसा करते हैं. कांग्रेस AAP के साथ मिलकर कह सकती थी कि हमें उनके स्कूल पसंद हैं, हमें उनके अस्पताल पसंद हैं, हम उनका विस्तार करना चाहते हैं और उससे भी आगे जाना चाहते हैं.”
दिल्ली चुनाव के नतीजों का क्या होगा असर?
उन्होंने उम्मीद जताई, “दिल्ली चुनाव के नतीजों का असर एकता की जरूरत पर जोर देने वाला होगा.” उन्होंने कहा, “सच तो यह है कि यह एक ऐसा युद्ध है जिसे आप और इंडिया गठबंधन को हारने की जरूरत नहीं थी लेकिन वे हार गए.”
यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली चुनाव के नतीजों का भारतीय राजनीति पर कोई असर हो सकता है. इसके जवाब में अर्थशास्त्री ने कहा कि पार्टियों को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए कि वे कहां खड़े हैं और क्यों. हां, बिल्कुल मुझे लगता है कि इसका बड़ा असर उत्तर प्रदेश के चुनावों पर पड़ सकता है.”
दिल्ली चुनाव के नतीजों का अगले साल बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव पर कोई असर पड़ने के बारे में बात करते हुए सेन ने कहा कि भारत में हर चुनाव का दूसरों पर असर पड़ता है और इसका असर हो भी सकता है.
उन्होंने कहा, “बंगाल में, भले ही तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई(एम) और कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां अलग-अलग रास्ते पर चली गई हों, लेकिन धर्मनिरपेक्षता के महत्व और सभी के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा और यहां तक कि सामाजिक न्याय के लिए भी सामाजिक सहमति अभी भी बनी हुई है. मुझे नहीं लगता कि पश्चिम बंगाल में दिल्ली जैसी पराजय होगी.”
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